Unique: शंख और बैंड बजाने वालों को छू नहीं सका कोरोना, भागलपुर में मंदिर के पुजारी और बैंड पार्टी वाले दूसरी लहर में नहीं आ सके चपेट में

शंख और बैंड बजाने वालों पर कोरोना का असर नहीं हो रहा है। ऐसे मामले भागलपुर में देखे जा रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में मंदिर के पुजारी और बैंड पार्टी के सदस्‍य चपेट में नहीं आए।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:43 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:43 AM (IST)
Unique: शंख और बैंड बजाने वालों को छू नहीं सका कोरोना, भागलपुर में मंदिर के पुजारी और बैंड पार्टी वाले दूसरी लहर में नहीं आ सके चपेट में
शंख और बैंड बजाने वालों पर कोरोना का असर नहीं हो रहा है।

 जागरण संवाददाता, भागलपुर। कोरोना की दूसरी लहर में भले ही हर कोई चपेट में आया, लेकिन इसी समाज में रहने वाले कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके आसपास कोरोना फटक नहीं पाया। मंदिरों में शंख बजाने वाले पुजारी और बैंड बजाने वाले इसे जानलेवा बीमारी से दूर रहे। हालांकि कोरोना के बढ़ते प्रकोप और लॉकडाउन की वजह से बैंड पार्टी वालों का धंधा जरूर बंद रहा, पर वे हर दिन अभ्यास करते रहे। मंदिरों में पंडित शंख बजाकर तो बैंड पार्टी वाले रियाज करते रहे। इससे उनके फेफड़े की निरंतर एक्सरसाइज होती रही। यही वजह है कि उनके हौसले के आगे कोरोना पस्त हो गया। भागलपुर शहर में एक हजार से ज्यादा की संख्या में लोग शादी, विवाह, मुंडन और शुभ मुहूर्त पर बैंड बजाते हैं, लेकिन इन्हें कोरोना छू नहीं सका। अब बैंड वाले सरकार से राहत की आस लगाए बैठे हैं।

शंख और बैंड बजाने के फायदे

शहर के फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण कुमार झा ने बताया कि शंख सिर्फ धार्मिक पहलू नहीं, इसके चिकित्सीय महत्व भी हैं। कोरोना काल में ह्दय संबंधित व्यायाम के लिए यह मुफीद है। इसे बजाने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती। योग चिकित्सा में भी शंख को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। उन्होंने कहा कि बैंड बजाने के दौरान श्वांस में उतार-चढ़ाव आता है जो शरीर के लिए काफी लाभप्रद है। शंख और बैंड बजाने से शरीर में आक्सीजन की मात्रा बेहतर रहती है। इससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है। कोरोना की दूसरी लहर में शंख और बैंड बजाने वालों को इसका लाभ भी मिला है और वह इस बीमारी की चपेट में नहीं आ सके।

धंधा बंद होने पर घर पर हो गए सीमित

भागलपुर शहरी क्षेत्र में तीन दर्जन से ज्यादा बैंड-पार्टी, ताशा, भांगड़ा वाले हैं। लॉकडाउन में धंधा बंद होने के कारण बैंड की बुङ्क्षकग नहीं हुई। ऐसे में वे घर के कमरे तक ही सीमित हो गए। उनकी हालत काफी दयनीय हो गई है। अभी कोई देखने वाला नहीं है। इन्होंने बताया कि परिवार को किसी भी सदस्य को कोरोना नहीं हुआ। सरकारी मदद के आस लगाए बैठे हैं।

-मास्टर वसीर, मिलन बैंड।

हर दिन करते हैं अभ्यास

लॉकडाउन से ही पुस्तैनी धंधा पूरी तरह से बंद है। घर का चूल्हा भी जलना मुश्किल हो गया है। बैंड पार्टी में शामिल सदस्यों की हालत भी खस्ता है। ऐसे में कोरोना काल में हर दिन घर पर ही अभ्यास करते रहे। कोरोना का कोई भी लक्षण नहीं दिखा। अब सरकार और प्रशासन को कम से कम बैंड वालों को राहत देने की जरूरत है।

-मास्टर इबरार, आजाद बैंड।

कोरोना से नहीं घबराए

कोरोना की दूसरी लहर में कोई भी चपेट में नहीं आया, बल्कि आसपास के लोगों की मदद भी की। सरकार को बैंड-पार्टी वालों के बारे में सोचने की जरूरत है। बुङ्क्षकग नहीं हो रही है, ऐसे में धंधा मंदा हो गया है। यह धंधा कई पुश्तों से चल रहा है। कोरोना और लॉकडाउन ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। घर की माली हालत दयनीय हो गई है।

-मास्टर लाल।

शंख बजाने से फेफड़ा स्वस्थ रहता है

आयुर्वेद और विज्ञान की मानें तो शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सृजन होता है, जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। शंख बजाने से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है और फेफड़ों स्वस्थ रहते हैं।

ये भी कोरोना से रहे दूर

शहर के मशहूर बाबा बूढ़ानाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मिकी ङ्क्षसह कहते हैं कि कोरोना काल में सुबह-शाम बाबा का पूजा और आरती होती है, जिसमें शंख भी फूंका जाता है। हमारे यहां तीन प्रधान पंडित ब्रम्हदेव दूबे, पं. लक्ष्मण उपाध्याय,पं. भैरव मिश्र शंख बजाते हैं और इन तीनों को तो कोरोना नहीं ही हुआ शंख की सकारात्मक ध्वनी से मंदिर परिवार भी अब तक सुरक्षित है। वहीं शिव-शक्ति मंदिर आदमपुर के प्रधान महंत अरुण बाबा ने कहा कि नित्य बाबा के पूजा में शंख बजाता हूं। कोरोना आसपास भी नहीं फटक सका। शंख बजाने से अंदर की ताकत महसूस होती है। हम निरोग रह कर दीर्घायु जीवन जी सकते हैं। 

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