विक्रमशिला गांगेय डाल्फिन अभयारण्य को लेकर केंद्रीय राज्‍य मंत्री अश्विनी चौबे ने कई बड़ी घोषणा, बोले- डाल्फिन की होगी गिनती

विक्रमशिला गांगेय डाल्फिन अभयारण्य को विश्वस्तरीय स्थल बनाने की दिशा में उठाए जाएंगे सारे आवश्यक कदम। 60 किलोमीटर इलाके को गैंगेटिक डाल्फिन संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को इस आश्रयणी क्षेत्र में देखा गया है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 09:03 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 09:03 AM (IST)
विक्रमशिला गांगेय डाल्फिन अभयारण्य को लेकर केंद्रीय राज्‍य मंत्री अश्विनी चौबे ने कई बड़ी घोषणा, बोले- डाल्फिन की होगी गिनती
गांगेय डाल्फिन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल संबोधित करते केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि गांगेय डाल्फिन की गणना की जाएगी। हाल ही में इसको लेकर मंत्रालय ने एक गाइडलाइन भी जारी किया है। डाल्फिन की गणना वैज्ञानिकों, वन विभागों, गैर सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों, स्थानीय लोगों आदि की भागीदारी से की जाएगी और यह एक संयुक्त प्रयास होगा। वे भागलपुर वन प्रमंडल द्वारा गांगेय डाल्फिन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को दिल्ली से वर्चुअल संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य डाल्फिन का संरक्षण और नदियों पर निर्भर समुदायों की आर्थ‍िक स्थिति को बेहतर बनाना है।

डाल्फिन का संरक्षण लोगों और जैव विविधता के बीच दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में डाल्फिन का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा। विक्रमशिला गांगेय डाल्फिन अभयारण्य को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में सारे आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार डाल्फिन के साथ घडिय़ाल, कछुआ, मछलियों, पक्षियों जैसी अन्य संबद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसका नाम 'प्रोजेक्ट डाल्फिन' है, को आगे बढ़ा रही है।

गंगा के सहायक नदियों में भी डाल्फिन है। सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र को 'गैंगेटिक रिवर डाल्फिन संरक्षित क्षेत्र' घोषित किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि कनाडा एवं जापान की तर्ज पर बिहार एवं अन्य जगहों पर जहां डाल्फिन हैं, वहां पर डाल्फिन दर्शन केंद्र की स्थापना की जानी चाहिए। इससे आसपास के क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। इसके जरिए नाव संचालक, डाल्फिन दिखाने के लिए गाइड, स्थानीय व्यंजनों और हस्तशिल्प आदि को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही डाल्फिन पर्यटन से लोगों में इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और स्थानीय मछुआरे समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में भी वृद्धि होगी।

डाल्फिन मित्र बनाने का प्रस्ताव

डाल्फिन प्रोजेक्ट में मित्र बनाने का भी प्रस्ताव है। जिसमें स्थानीय समुदाय, मुख्य रूप से मछुआरे, डाल्फिन मित्र होने के नाते उनकी सुरक्षा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। गंगा नदी के तट के दोनों ओर के स्थानीय लोग डाल्फिन मित्र के रूप में शामिल होंगे। वे लोगों को डाल्फिन संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगे। भारत सरकार डाल्फिन परियोजना के कुछ हिस्से का वित्तपोषण करेगी। राज्य सरकार द्वारा डाल्फिन के आश्रयणी क्षेत्र में आधुनिक यंत्रों के सहारे व्यवहार एवं संरक्षण के लिए डाल्फिन मानीटर स्टेशन स्थापित किया जाएगा। जीपीएस सेटेलाइट टैग के माध्यम से डाल्फिन का वास्तविक काल में व्यवहार का अध्ययन करने की भी योजना है। डाल्फिन संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़े मानव बल को नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण की रूपरेखा तैयार की जाएगी। डाल्फिन के संरक्षण एवं संवर्धन कार्य को संपादित करने के लिए डाल्फिन संरक्षण बल का गठन किया जाएगा। डाल्फिन मित्र के मानदेय की राशि भी निर्गत कर दी गई है। -गांगेय डाल्फिन आश्रयणी क्षेत्र विभिन्न स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक निवास स्थल भी है। -यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी विभिन्न देशों से विचरण करने के लिए आते हैं। -इस आश्रयणी क्षेत्र में घडिय़ाल, उदविलाव, कछुआ, दुर्लभ प्रजाति की मछलियां प्रचुरता में हैं। -इस प्राकृतिक निवास स्थान में 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को देखा गया है। -इस आश्रयणी क्षेत्र में छह से अधिक प्रजातियों के कछुए पाये जाते हैं, इसमें कई दुर्लभ हैं।

डाल्फिन एवं जैव-विविधता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर हुई चर्चा

इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। स्वागत क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक अभय कुमार के द्वारा किया गया। पीजी वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. सुनील कुमार चौधरी के द्वारा डाल्फिन एवं जैव-विविधता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में वन प्रमंडल पदाधिकारी भरत चिन्तपल्लि, पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा. संजीत कुमार, पर्यावरणविद डा. डीएन चौधरी एवं पक्षी विशेषज्ञ अरविन्द मिश्रा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरूआत बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता से हुई। उसके बाद डाल्फिन संरक्षण से संबंधित डाक्युमेंन्ट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जिसे बच्चों ने उत्साहपूर्वक देखा।

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