स्‍मार्ट सिटी भागलपुर का सच: छोटे कंट्रोल कक्ष ने तोड़ा दम, अब बड़ी योजना पर खर्च की तैयारी

स्मार्ट सिटी योजना पर बहा रही राशि रख-रखाव के अभाव में कबाड़ बना संसाधन। ढाई वर्ष पूर्व शहर में 920 सीसी कैमरे व मिनी सर्वर रूप पर खर्च हुआ दो करोड़ रुपये। पटना की कोसमिक एजेंसी और भागलपुर की इंफिनेट टेक्नोलॉजी से कराया था कार्य।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 10:46 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 10:46 AM (IST)
स्‍मार्ट सिटी भागलपुर का सच: छोटे कंट्रोल कक्ष ने तोड़ा दम, अब बड़ी योजना पर खर्च की तैयारी
भागलपुर में स्‍मार्ट सिटी योजना में लगातार लापरवाही बरती जा रही है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहर में स्मार्ट सिटी की योजनाओं पर करोड़ों रुपये यूं ही खर्च कर दी जा रही है। संसाधन लगाने के बाद स्मार्ट सिटी के अधिकारी रख-रखाव तक करना भूल जाते हैं। अब कंट्रोल एंड कमांड केंद्र साफ्टवेयर पर 191 करोड़ रुपये की बड़ी रकम खर्च करने की तैयारी है। जबकि तीन वर्ष पूर्व दो करोड़ रुपये की लागत से शहर में करीब 920 सीसी कैमरे लगाए गए। नगर निगम के मिनी सभागार में सर्वर लगाकर कंट्रोल कक्ष बनाया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा से भी कराया गया। लेकिन शहर में लगे सीसीटीवी भी अब धोखा देने लगे हैं। यह सारे कैमरे बंद हो गए है। कंट्रोल कक्ष में लगे बड़े एलईडी स्क्रीन व सर्वर धूल फांक रहे है। पिछले दो साल शहर की मुख्य सड़क और गली-मोहल्ले में सीसीटीवी शो पीस बन गए है। लेकिन पिछले डेढ़ साल से वहां एक भी कर्मी की तैनाती नहीं की गई है। देखरेख के लिए तकनीकी कर्मी तक नहीं है।

दो कंपनियों को मिली थी जिम्मेवारी

भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने वार्ड नंबर 18 से 23 तक सीसीटीवी लगाने के लिए दो वर्ष पहले योजना तैयार किया था। पटना की कोसमिक एजेंसी को शहर की मुख्य सड़कों पर 335 कैमरे लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी। वहीं, भागलपुर की कंपनी इंफिनेट टेक्नोलॉजी को 565 कैमरे गली-मोहल्लों में लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी। दोनों कंपनियों ने काम पूरा कर सारे कैमरे भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को हैंडओवर कर दिया था। लेकिन सही तरीके से रखरखाव नहीं होने से कई कैमरे कुछ माह बाद ही खराब हो गए, जबकि कुछ कैमरों को चोर-बदमाश खोलकर ले भागे।

भुगतान नहीं होने पर रखरखाव का काम बंद

भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कार्य के एवज में कंपनियों को एक करोड़ रुपये का भुगतान तो किया, लेकिन बाकी एक करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं हो सका है। पैसा नहीं मिलने पर कंपनी ने रखरखाव का काम बंद कर दिया। साथ ही याचिका भी दायर कर दिया है।

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