ट्रेड लाइसेंस घोटाला : भागलपुर नगर निगम में खूब हुई अनियमितता, रजिस्टर व आनलाइन में भारी अंतर

भागलपुर नगर निगम में भारी अनियमितता बरती गई है। 2017 से अबतक का रजिस्टर एडीएम कार्यालय पहुंचाया है। आठ सफाई कर्मियों के संबंध में एडीएम ने मांगी विस्तृत जानकारी। नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस की जा रही है। लगता है यह सही साबित होगा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:40 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 08:40 AM (IST)
ट्रेड लाइसेंस घोटाला : भागलपुर नगर निगम में खूब हुई अनियमितता, रजिस्टर व आनलाइन में भारी अंतर
भागलपुर नगर निगम में घोटाले की जांच हो रही है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस घोटाला सही साबित होता दिख रहा है। प्रारंभिक जांच में ट्रेड लाइसेंस से संबंधित रजिस्टर व आनलाइन में भारी अंतर देखा जा रहा है। सीनियर डिप्टी कलेक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह ने नगर निगम से 2017 से अब तक के ट्रेड लाइसेंस से संबंधित रजिस्टर की मांग की थी। नगर निगम के ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी निरंजन मिश्रा और कंप्यूटर आपरेटर ज्ञानेन्द्र कुमार वर्मा ने सारे रजिस्टर जांच के लिए उपलब्ध करा दिया है। जांच के दौरान पता चल रहा है कि रजिस्टर में जो राशि अंकित है, वह कंप्यूटर पर नहीं है। राशि में भी भारी अंतर है। रजिस्टर पर कम राशि दर्शाया गया है। किसी-किसी मामले में राशि चढ़ाया भी नहीं गया है। रजिस्टर में कम संख्या में नाम है और कंप्यूटर में अधिक है। रजिस्टर व मिलान की कार्यवाही शुरू हो गई है। कितने लाइसेंस को रेनुवल किया गया है, इसकी भी जांच चल रही है। जांच में सीनियर डिप्टी कलेक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह और राजस्व कर्मी जुटे हैं। जांच कार्य लगभग दस दिन चलने की संभावना है।

आठ सफाई कर्मियों की मांगी जानकारी

आठ सफाई कर्मियों के संबंध में सीनियर डिप्टी कलेक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह ने नगर आयुक्त से पूरी जानकारी मांगी है। इन कर्मियों की नियुक्ति किसके आदेश पर हुई है। कब से इनकी नियुक्ति हुई है। उक्त कर्मी कहां प्रतिनियुक्त थे। निजी कार्य के लिए डिपुटेशन पर था। निजी कार्य में कितने कर्मियों को लगाया गया था। वर्तमान में ये कहां कार्यरत हैं। उन्हें कब से कब तक का मानदेय दिया गया है। किसके आदेश पर इनकी प्रतिनियुक्ति की गई थी। पूरी जानकारी नगर आयुक्त से मांगी गई है। नगर निगम के पार्षदों ने आठ कर्मियों के संबंध में जिला प्रशासन से शिकायत की थी कि इनसे निजी कार्य लिया गया।

ट्रेड लाइसेंस में चल रहा था खेल

नगर निगम में 2017 से फर्जी ट्रेड लाइसेंस जारी कर राशि गबन करने का खेल चल रहा था। वर्तमान शाखा प्रभारी निरंजन मिश्रा के द्वारा फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद निगम में खलबली मच गई। निगम प्रशासन ने इस मामले में आंतरिक जांच शुरु कर दी। जांच के दौरान पूर्व शाखा प्रभारी दिव्या स्मृति से पूछताछ की गई। उनके हस्ताक्षर के नमूना को भी लिया गया। लेकिन दिव्या स्मृति जारी लाइसेंस पर अपने हस्ताक्षर से इंकार करती रही। बावजूद शक की सूई उस पर ही घूमती रही। निगम ने शुक्रवार को दिव्या को निलंबित कर दिया। साथ ही विभागीय कार्रवाई अलग से होगी। वहीं कंप्यूटर आपरेटर गौतम कुमार साह को कार्यमुक्त कर दिया गया।

उसकी संलिप्तता उजागर हुई है। निगम की आंतरिक जांच को लेकर निगम पार्षद संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद जिलाधिकारी और आयुक्त से मुलाकात करके जांच कराने की बात कही। जिला प्रशासन एडीएम राजेश झा राजा के नेतृत्व में कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने जांच शुरु कर दी। जांच के लिए वर्तमान शाखा प्रभारी निरंजन मिश्रा और कंप्यूटर आपरेटर ज्ञानेन्द्र कुमार वर्मा को एडीएम कार्यालय में प्रतिनियुक्त कर दिया गया, ताकि जांच के दौरान इनका सहयोग लिया जा सके। प्रशासन की जांच कमेटी ने एक-एक आवेदन की पड़ताल शुरु की है, ताकि यह पता चल सके कि घोटाला कितने का हुआ है।

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