आज बहनें बांधेगी भाई की कलाई पर राखी

सावनी पूर्णिमा को लेकर शिव भक्तों की गंगा घाटों पर काफी भीड़ देखी गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Aug 2021 07:38 AM (IST) Updated:Sun, 22 Aug 2021 07:38 AM (IST)
आज बहनें बांधेगी भाई की कलाई पर राखी
आज बहनें बांधेगी भाई की कलाई पर राखी

भागलपुर। सावनी पूर्णिमा को लेकर शिव भक्तों की गंगा घाटों पर काफी भीड़ देखी गई। हर हर महादेव के गुंज के साथ डाक कांवरिया कांधे पर गंगाजल लेकर बोल बम के नारों के साथ शिव नगरी के लिए निकल पड़े। सुबह से ही शहर के गंगा घाटों पर जन सैलाब उमड़ता रहा। शिव को समर्पित सावन का अंतिम दिन को लेकर शिव भक्तों में काफी आस्था और श्रद्धा दिखी एक दिन पहले से ही जलाभिषेक की तैयारी में श्रद्धालु लगे हुए दिखे।

बाबा बूढ़ानाथ में होगा विशेष अभिषेक

बाबा बूढ़ानाथ के प्रबंधक बाल्मीकि सिंह ने बताया कि रविवार को सावन का अंतिम दिन है। इस दिन बाबा का विशेष अभिषेक पूजा-अर्चना श्रृंगार महा आरती महा भोग आदि का आयोजन किया जाएगा। शहर के अन्य शिवालयों शिव शक्ति मंदिर आदमपुर, बाबा भूतनाथ महादेव आदि जगहों पर भी विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा मंदिर बंद है। प्रबंधन द्वारा आयोजन होगा। बाहरी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक रहेगी।

उधर, भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन को लेकर भी बाजार में खासी चहल-पहल दिखी। राखी की दुकानों से पूरा शहर पट गया। चारों ओर बाढ़ आपदा के बावजूद भाई और बहन एक दूसरे के घर जाते दिखे। बहने उत्साह पूर्वक अपने भाइयों के लिए रक्षा सूत्र खरीद रही थी। इस बार डाक विभाग भी राखी पहुंचाने में सक्रिय भूमिका अदा किया। सही पता नहीं मिलने पर मोबाइल से संपर्क कर राखी डिलीवरी करता रहा।

ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन कुमार दुबे के अनुसार रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होगा। रक्षाबंधन सुबह से शाम तक कभी भी बंधाया जा सकता है। इस बार ग्रह एवं नक्षत्र शुभ संयोग बन रहा है। घनिष्ठा नक्षत्र के साथ ही शोभन योग है जो शुभता में वृद्धि करने वाला है। आमतौर पर भद्रा के कारण बहनों को राखी बांधने के लिए समय कम ही मिलता रहा है। इस बार भद्रा नहीं होने से राखी बांधने के लिए 12 घंटे और 11 मिनट की अवधि का दीर्घकालीन शुभ मुहूर्त है।

इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर उसके हाथों पर रेशम की डोर से बनी राखी बांधती हैं। भाई भी इस प्रेम के बदले अपनी बहन को अपनी जेब अनुसार उपहार भेंट कर उनकी आजीवन रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन बहनें स्नेह की डोर से भाइयों की कलाइयां सजाती हैं ।

ऐसी मान्यता

रक्षाबंधन के लिए ऐसी मान्यता है कि राजा बलि ने एक बार भगवान विष्णु को भक्ति के बल पर जीत लिया और उनसे यह वरदान मांगा कि अब आप मेरे ही राज्य में रहें, भगवान मान गए और उसी के राज्य में रहने लगे। उनके वापस न आने से लक्ष्मी दुखी रहने लगीं।

तब एक बार नारद के परामर्श पर लक्ष्मी पाताल लोक गई और बलि के हाथ पर रखी बांधकर उन्हें भाई बनाया और फिर उन्होंने बलि से निवेदन कर विष्णु को वापस लेकर वैकुंठ धाम ले आईं। तब से ही रक्षा बंधन की परंपरा चल रही है।

chat bot
आपका साथी