कंपनी की तरह काम कर रहा था टीएमसी नेता मुर्शीद का सप्लायर गिरोह, जीपीएस से करता था शराब लदे वाहन को ट्रैक
बंगाल से बिहार में शराब सप्लाई करने वाला तस्कर टीएमसी नेता मुर्शीद किसी कंपनी से कम नहीं था। उसका मासिक टर्नओवर लाखों में था।कई लोगों को शराब तस्करी से जोड़कर उसने रोजगार भी दे रखा था। पूछताछ में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं।
किशनगंज [शैलेश]। बंगाल से बिहार में शराब सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा तस्कर मुर्शीद किसी कंपनी से कम नहीं था। एक ओर जहां उसका मासिक टर्नओवर लाखों में था, वहीं कई लोगों को शराब तस्करी के कारोबार से जोड़कर उसने रोजगार भी दे रखा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं।
अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार मुर्शीद दालकोला क्षेत्र के कई लोगों को बिहार में शराब तस्करी के कारोबार से जोड़कर रोजगार मुहैया कराए हुए था। इससे एक तरफ जहां उसका व्यापार सही तरीके से चल रहा था, वहीं उसे स्थानीय लोगों का सपोर्ट रहता था। उसने नकली शराब बनाने के धंधे में भी कई लोगों को रोजगार दिया हुआ था। इसके अलावा शराब लदे ट्रक को सीमा पार कराने के काम में भी उसने दर्जनों लोगों को लगाया हुआ था। बिहार में मुर्शीद की शराब पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया के रास्ते से अन्य जिलों के लिए जाती थी। ऐसे में मुर्शीद के लोग किशनगंज, पूर्णिया, अररिया के सीमा क्षेत्र में रेकी कर शराब लदे ट्रकों को पास कराते थे। शराब की खेप सीमा पार कराने के एवज में ऐसे लोगों को मुर्शीद ट्रिप के हिसाब से भुगतान करता था।
पुलिस को सूचना देकर माल पकड़वाने का भी करता था काम : शराब तस्करी को लेकर क्षेत्र में रेकी करने वाले मुर्शीद का गुर्गा किसी दूसरे की शराब की खेप इलाके से गुजरने पर पुलिस को सूचना देकर पकड़वाने का काम भी करता था, ताकि हर कोई मुर्शीद से संपर्क कर बिहार में शराब की खेप ले जाए। मुर्शीद बिहार में शराब सप्लाई का किंग बना हुआ था। वह बिहार से सटी सीमा की सभी सड़कों पर नजर रखता था और बिना उसकी सूचना के शराब तस्करी होने पर पूर्णिया, किशनगंज, अररिया जिला के पुलिस और मद्य निषेध टीम को सूचना देकर माल पकड़वा देता था।
जीपीएस के जरिए मुर्शीद देखता रहता था गाड़ी का लोकेशन : शराब सप्लायर मुर्शीद से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि वह अपनी टीम में तकनीकी रूप से दक्ष लोगों को भी रखता था। ऐसे लोग शराब लदे वाहन की लोकेशन उसे बताते रहते थे। यदि कोई गाड़ी पकड़ी जाती थी तो उसकी भी सूचना मुर्शीद को अपने लोगों से मिल जाती थी।