लखनऊ और पटना के नंबरों से TMBU अधिकारियों को आते थे फोन, हड़कंप

मगध विश्वविद्यालय में एसवीयू की दबिश के बाद टीएमबीयू में मचा हुआ है हड़कंप। एसवीयू की गतिविधियों के कारण नहीं आ रहे कार्य पूरा कराने के लिए फोन। टीएमबीयू के कई पूर्व और वर्तमान अफसरों को भी कार्य पूरा करने को लेकर फोन आते थे।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:31 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:31 PM (IST)
लखनऊ और पटना के नंबरों से TMBU अधिकारियों को आते थे फोन, हड़कंप
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के अधिकारियों को फोन आ रहा है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। मगध विश्वविद्यालय, गया में स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) द्वारा की गई जांच के बाद उजागर हुए मामले से हड़कंप की स्थिति है। मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी यूनिवर्सिटी (एमएमएचएएफयू) के कुलपति प्रो. कद्दूस ने फर्जी भुगतान के लिए कुछ लोगों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था। यह स्थिति केवल एमएमएचएएफयू में ही नहीं है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के कई पूर्व और वर्तमान अफसरों को भी लखनऊ और पटना के नंबरों से कार्य पूरा करने को लेकर फोन आते थे। सभी अधिकारियों में हडकंप मच गया है। 

एक प्रभारी कुलपति के समय शुरू हुआ सिलसिला

जब से एमएमएचएएफयू के कुलपति ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र दिया है। इसके बाद से अधिकारियों को फोन नहीं आया है। टीएमबीयू से जुड़े पदाधिकारी ने बताया कि फोन आने का सिलसिला एक प्रभारी कुलपति के समय से शुरू हुआ था। जब प्रमाणपत्रों से जुड़ा एक बड़ा वित्तीय लेनदेन होना था, इसके लिए कई बार पूर्व कुलपति को अलग-अलग नंबरों से फोन आए। इसकी प्रक्रिया शुरू करने के बाद विभिन्न कमेटियों में भी रखकर पास कराने की तैयारी थी, किंंतु किसी कारणवश कार्य नहीं हो सका। अन्यथा करोड़ों के वारे-न्यारे हो जाते।

बड़े वित्तीय लेनदेन में तुरंत मिल जाती है अनुमति

टीएमबीयू का परीक्षा विभाग डेढ़ वर्षों से संसाधनों की कमी में जूझ रहा है। इसके लिए अधिकारियों ने कई बार मौखिक रूप से निर्देश दिया, लेकिन स्थिति जस की तस है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय में करोड़ों के लेन-देन की प्रक्रिया आसानी से पूरी हो जाती है। इसके लिए वित्त से जुड़े अधिकारियों को कमेटी बनाकर खानापूरी के लिए रखा जाता है। हाल ही में टीएमबीयू में आटोमेशन, ओएमआर खरीद में करोड़ों रुपये लगाने की तैयारी थी। इस मामले में कई कमेटियों ने अपना निर्णय भी ले लिया था। मगर स‍िंडिकेट की बैठक में इन निर्णयों को सदस्यों ने मानने से इंकार कर दिया। 

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