TMBU: अधिक कीमत पर कापी खरीद मामले में बढ़ा विवाद, RTI से मांगा जवाब, कुलसचिव ने दी यह सफाई

टीएमबीयू में कापी खरीद में विवाद बढ़ता जा रहा है। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने आरटीआइ के जरिए विवि से जानकारी मांगी है। 2017 से अब तक किस दरों पर कापी की खरीद हुई है। कुलसचिव ने कहा-नियमों के तहत हुई है प्रक्रिया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 10:47 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 10:47 AM (IST)
TMBU: अधिक कीमत पर कापी खरीद मामले में बढ़ा विवाद, RTI से मांगा जवाब, कुलसचिव ने दी यह सफाई
तिमांविवि के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने आरटीआइ से मांगा जवाब।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। टीएमबीयू में कापी खरीद मामले में विवाद बढ़ गया है। इस मामले में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष शांतनु कुमार ने आरटीआइ के जरिए विवि से जानकारी मांगी है। उन्होंने पूछा है कि 2017 से अब तक किस दरों पर कापी की खरीद हुई है। इसके अलावा कापियों की संख्या और एजेंसी का नाम भी पूछा गया है। इस मामले को इंटरनेट मीडिया पर पहले राजद के प्रदेश महासचिव डा. आनंद आजाद ने उठाया था। इसके बाद मामला तूल पकडऩे लगा।

कापी खरीद पर सवाल उठाते हुए डा. आजाद ने कहा है कि परीक्षा के बिना ही अलग-अलग रेटों में कापियों की खरीद हुई है। विवि सूत्रों की मानें तो कापी खरीद का पहला आर्डर 27 फरवरी और दूसरा 27 मार्च को दिया गया। कापी खरीद का आर्डर मधेपुरा जिले की एक एजेंसी को दिया गया था। दोनों बार में करीब 49 लाख से अधिक की कापियां खरीदी गई। इसके अलावा जानकारी मिली है कि फरवरी और मार्च के बीच 2.55 लाख कापियों का एक और आर्डर दिया गया था। इस लेकर करीब 74 लाख कापियों का आर्डर दिया गया था। टीएमबीयू में दो दिन पूर्व अब और 4.8 लाख कापयिों के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।

इस मामले में कुलसचिव डा. निरंजन प्रसाद ने बताया कि पिछली बार पार्ट वन समेत पीजी व अन्य परीक्षाओं के लिए कापी की खरीद हुई थी। कापी खरीद की प्रक्रिया में देरी होती है। जिससे छात्रों की परीक्षाएं देरी से शुरू होती है। इस समस्या से निदान के लिए कापी की खरीद की गई। पूर्व में कापी की खरीद पूरी प्रक्रिया और नियमों के तहत की गई है। आगे भी कापियों की खरीद होगी तो उन्हें आगामी होने वाली परीक्षाओं के लिए स्टाक रखा जाएगा। ताकि तत्काल तिथि निकाले जाने के बाद परीक्षा हो सके।

बता दें कि पिछली बार पीजी और पार्ट टू की परीक्षाओं में कापी की वजह से ही देरी हुई थी। पीजी प्रभारी कुलपति के कारण प्रक्रिया में देरी होती गई। जिस वजह से कोरोना संक्रमण का कम प्रभाव रहते हुए भी परीक्षा नहीं हो सकी। यदि कापी स्टाक में रहती तो कई परीक्षाएं हो चुकी होती।

chat bot
आपका साथी