नहीं है स्वास्थ्य विभाग और बिहार पुलिस के बीच तालमेल, मुंगेर में रिपोर्ट के चक्कर में फंसे 200 से ज्यादा मामले

स्वास्थ्य विभाग और बिहार पुलिस के बीच कार्डिनेशन सही नहीं है। इसकी बानगी मुंगेर में देखने को मिलती है। जिले में रिपोर्ट के चक्कर में 200 मुकदमे फंसे हुए हैं। अस्पताल से समय पर नहीं भेजा जा रहा जांच प्रतिवेदन।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 08:31 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:31 AM (IST)
नहीं है स्वास्थ्य विभाग और बिहार पुलिस के बीच तालमेल, मुंगेर में रिपोर्ट के चक्कर में फंसे 200 से ज्यादा मामले
समय से नहीं मिलती पोस्टमार्टम रिपोर्ट, केस रहते हैं पेंडिंग।

संवाद सूत्र, मुंगेर : स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की बेहतर तालमेल के अभाव में मुकदमों का निपटारा समय पर नहीं हो रहा है। इंज्यूरी और बीएसटी रिपोर्ट के चलते जिले के कई थानों में अभी भी दो सौ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने से मुकदमों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है। घटना के बाद अस्पताल से रिपोर्ट नहीं उपलब्ध होने से केस फाइलों में उलझ कर रहा गया है। यह आंकड़ा सिर्फ छह माह का है। इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही भी साफ दिख रही है।

संबंधित रिपोर्ट पर समय पर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के हस्ताक्षर नहीं होने से जांच में विलंब हो रहा है। दरअसल, किसी घटना की जांच अस्पताल की रिपोर्ट पर निर्भर है। जिले के थानों से जारी होने वाली एमएलसी सहित उससे जुड़े दस्तावेज प्राप्त करने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट रहे हैं। लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है, नतीजतन इसका असर थानों में दर्ज मामलों पर पड़ रहा है।

सदर अस्पताल और जिला के विभिन्न प्रखंडों में संचालित अनुमंडल और पीएससी में आने वाले मेडिकल जांच पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेना पुलिस के लिए आसान नहीं है। हर दिन मारपीट, सड़क दुर्घटना, जहरखुरानी, अज्ञात सहित अन्य मामलों में पीडि़त अस्पताल पहुंचते हैं। यह मामला तो थानों में दर्ज हो जाते हैं इसके बाद इन मामलों से जुड़े दस्तावेज जुटाने में पुलिस को महीनों चक्कर काटना पड़ता है। रिपोर्ट के लिए पुलिस कर्मियों को दो से तीन महीने तक चक्कर काटना पड़ता है।

पहला मामला: मुफस्सिल थाना क्षेत्र के नौवागढ़ी के पुलिस मंडल की पत्नी दाना देवी के साथ पड़ोसी ने मारपीट की थी, इसकी रिपोर्ट अब तक थाना तक नहीं पहुंच सकी है।

दूसरा मामला: कोतवाली थाना क्षेत्र में एक वर्ष पहले पुलिस ने अज्ञात शव बरामद किया था। पोस्टमार्टम होने के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अब तक इसकी रिपोर्ट थाना तक नहीं पहुंची।

लंबित मामलों के निष्पादन पर दिया जाता है जोर

प्रत्येक माह होने बाली क्राइम मीटिंग में एसपी ने सभी थानाध्यक्षों को लंबित मामलों को त्वरित निष्पादन करने का निर्देश दिया जाता है। स्वास्थ विभाग की लचर व्यवस्था के कारण जिले के 29 स्थानों के लगभग 200 से ज्यादा इंज्यूरी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट सदर अस्पताल सहित अन्य अनुमंडल और पीएचसी में पेंडिंग है। रिपोर्ट पेंडिंग रहने सीधा असर जांच पर पड रहा है।

'पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने में समय लगता है। इन जरूरी रिपोर्ट देने में विलंब नहीं होना चाहिए। संबंधित को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है। इसके लिए सभी को फिर से निर्देश दिया गया है।' -डा. हरेंद्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन मुंगेर।

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