गंगा का लगातार बढ़ रहा जलस्‍तर, मुंगेर के निचले इलाके में बाढ़ का खतरा, घर छोड़ कर जाने लगे लोग

मुंगेर के निचले इलाके में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। इससे लोग अपने घर को छोड़ कर ऊंचे स्‍थान पर शरण लेने की तैयारी में हैं। वहीं गंंगा के जलस्‍तर में बढ़ोतरी का सिलसिला अभी भी जारी है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 05:01 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 05:01 PM (IST)
गंगा का लगातार बढ़ रहा जलस्‍तर, मुंगेर के निचले इलाके में बाढ़ का खतरा, घर छोड़ कर जाने लगे लोग
मुंगेर के निचले इलाके में बाढ़ का खतरा बना हुआ है।

संवाद सूत्र बरियारपुर (मुंगेर)। हर दिन एक से दो सेंटीमीटर गंगा के जलस्तर में वृद्धि हो रही है। बरियारपुर प्रखंड के निचले इलाके में रहने वाले लोगों की बेचैनी बढऩे लगी है। बाढ़ की संभावना से भयभीत लोग प्रशासन के भरोसे नहीं रहकर खुद इससे बचने का उपाय कर रहे हैं। हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले निचले इलाके में रहने वाले लोग अव इसे अपना जीवन का हिस्सा मान गए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी पशुओं और बच्चों को झेलनी पड़ती है। लोगों को पुशओं के साथ रेलवे लाइन किनारे या एनएच किनारे रहना पड़ता है। लगभग तीन माह तक लोगों को विस्थापित होकर रहना पड़ता है। लोग पालीथीन टांगकर खुले आसमान के नीचे रहने को बाध्य होते हैं। गंगा का पानी रेलवे तथा सड़क पर बने पुलों होकर गांवों में प्रवेश करता है।

प्वाइंटर्स

-11 पंचायत के लोग होते हैं प्रभावित

-15 हजार से ज्यादा लोगों को होती है परेशानी

-02 सेंटीमटर बढ़ रहा गंगा का जलस्तर

-03 माह तक झेलना पड़ता है लोगों को दंश

बाढ़ आने पर कई गांव के लोग प्रभावित

बाढ़ आने पर प्रखंड के सभी ग्यारह पंचायत के लोग इससे प्रभावित होते हैं। नीरपुर पंचायत का सीतारामपुर नजीरा,लालजी टोला, सरस्वतीनगर,करहरिया पश्चिमी पंचायत का वंगाली टोला, करहरिया पूर्वी पंचायत के टीकापुर, रघुनाथपुर नजीरा कल्याणटोला पंचायत के काला मंडल टोला,शकहरा टोला के लोग निचले इलाके में रहने के कारण ज्यादा प्रभावित होते हैं।

15 हजारी की आबादी को होती है परेशानी

बाढ़ की वजह से हर वर्ष इन इलाकों के लगभग 15 हजार से ज्यादा की की आबादी प्रभावित होती है। इसके अलावे अत्यधिक बाढ़ आने पर कई जगहों पर एन एच के उपर से पानी का बहाव होता है। ग्रामीण जरुरी ङ्क्षसह,नरेश मालाकार ने बताया कि चौड़ क्षेत्र से बाढ़ का पानी रेलवे लाइन से फिर करने पर पहले उन्हीं लोगों का गांव डूबता है। झोपड़ीपुमा घर के उपर से पानी बहता है। ऐसे में रेलवे लाइन के किनारे पालीथीन टांगकर बच्चों के साथ पशुओं को रहना पड़ता है। संजय कुमार और अशोक मंडल का कहना है कि बाढ़ के आने पर सड़क किनारे रहना मजबूरी है। सड़क के ऊपर से पानी बहने पर लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। प्रशासन निचले इलाके में रहने वाले लोगों के मकान को ऊंचा करने का प्रयास करें तो लोगों को बाढ़ आने पर राहत मिल सकती है।

-कोट

-बाढ़ के आने की पूर्व तैयारी प्रशासन ने पूरी कर ली है। नाव का निबंधन के साथ-साथ इसको बाढ़ राहत कार्य में लगाया जाएगा। लोगों को ऊंचे स्थानों पर रखने के लिए जगह को चिह्नित किया गया है।

-जयप्रकाश स्वर्णकार, अंचलाधिकारी, बरियारपुर।

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