कोसी के मत्स्यगंधा जलाशय का बदलेगा नजारा, परिवार संग बोटिंग का भी ले सकेंगे आनंद

कोसी के मत्‍स्‍यगंधा जलाशय का जल्‍द नजारा बदलने वाला है। यहां पर पर्यटन के विकास के लिए कई काम होने हैं। जिला प्रशासन की ओर से सबसे पहले यहां पर बोटिंग की शुरुआत होगी। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 11 Nov 2021 11:23 AM (IST) Updated:Thu, 11 Nov 2021 11:23 AM (IST)
कोसी के मत्स्यगंधा जलाशय का बदलेगा नजारा, परिवार संग बोटिंग का भी ले सकेंगे आनंद
कोसी के मत्‍स्‍यगंधा जलाशय का जल्‍द नजारा बदलने वाला है।

संस, सहरसा। मत्स्यगंधा जलाशय में जिला प्रशासन और मंदिर समिति की देखरेख में शीघ्र बोटिंग प्रारंभ होगा। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। जलाशय में वोटिंग शुरू हो जाने से यहां पर पर्यटन का भी द्वार खुलेगा। इसके सुंदरीकरण के लिए भी पैसे का आवंटन किया जा चुका है। इसके तहत कई काम पूरे भी हो चुके हैं।

दरअसल, रक्तकाली- चौसठयोगिनी धाम न्यास समिति द्वारा निर्धारित दर पर दो बार बोटिंग निविदा रद्द होने के बाद जिलाधिकारी कौशल कुमार ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मत्स्यगंधा जलाशय में बोटिंग प्रारंभ कराना सहरसावासियों का सपना है। तकनीकी कारणों से इसकी निविदा अबतक नहीं हो पाई है। ऐसे में प्रशासन ने अपनी निगरानी में शीघ्र जलाशय में बोटिंग शुरू कराने का निर्णय लिया है।

सात करोड़ 43 लाख रुपये हो चुके हैं खर्च

उल्लेखनीय है कि जल- जीवन हरियाली अभियान के तहत सात करोड़ 43 लाख की लागत से मत्स्यगंधा जलाशय का जीर्णोद्धार कराया गया। बोटिंग प्रारंभ कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा दो बार निविदा आमंत्रित किया गया, परंतु निविदा में किसी व्यक्ति के उपस्थित नहीं होने पर प्रशासन ने स्वयं बोटिंग प्रारंभ कराने की योजना बनाई है। डीएम ने कहा कि लोगों की आकांक्षा के अनुरूप शीघ्र ही सहरसावासियों को मत्स्यगंधा जलाशय में बोटिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी।

पर्यटन की अपार संभावनाएं

मत्स्यगंधा जलाशय अपने आप में अद्वितीय है। यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए कई काम हो चुके हैं, लेकिन अब भी कई काम यहां पर बाकी है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से इस पर काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इसकी सूरत बदलने वाली है। वहीं, इस बार घाट पूर्व के दौरान यहां पर पहली बार भगवान भास्कर महोत्सव का भी आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में यहां पर श्रद्धालु पहुंचे। इसके लिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से फंड आवंटित किया गया था।  

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