कक्षा तीन की मासूम छात्रा पर गंदी नजर डालने वाला शिक्षक दोषी करार, सुपौल में 31 अगस्त को कोर्ट सुनाएगी फैसला

सुपौल में कक्षा तीन की नाबालिग छात्रा के साथ उसी के स्कूल के शिक्षक ने दुष्कर्म का प्रयास किया। बच्ची ने अपने साथ हो रही शिक्षक की इस करतूत पर शोर मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद उसे पकड़ा गया और बच्ची को आजाद किया गया फिर...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 06:54 PM (IST) Updated:Fri, 27 Aug 2021 06:54 PM (IST)
कक्षा तीन की मासूम छात्रा पर गंदी नजर डालने वाला शिक्षक दोषी करार, सुपौल में 31 अगस्त को कोर्ट सुनाएगी फैसला
क्लास-03 की मासूम छात्रा पर शिक्षक की गंदी नजर।

जागरण संवाददाता, सुपौल। नाबालिग छात्रा के साथ छेड़खानी के एक मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश षष्टम सह विशेष न्यायाधीश पाक्सो पाठक आलोक कौशिक की कोर्ट ने एक व्यक्ति को दोषी करार करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा है। कोर्ट द्वारा 31 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। मामला महिला थाना कांड संख्या 75/18 तथा POCSO 21/18 से संबंधित है, जिसमें कक्षा तीन में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा के साथ स्कूल के ही एक शिक्षक संजय कुमार मेहता ने दुष्कर्म करना चाहा।

गनीमत रही कि बच्ची के चिल्लाने पर अन्य सहपाठी वहां पहुंच गए और बच्ची दुष्कर्म का शिकार होने से बच गई। मामले को लेकर पीड़िता के पिता ने थाने में मामला दर्ज करवाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी नाबालिग पुत्री एक निजी स्कूल में कक्षा तीन की छात्रा थी। 23 अगस्त 2018 को उनकी बेटी पढ़ने गई तो इस स्कूल के ही एक शिक्षक संजय कुमार मेहता उसे बहला-फुसलाकर दूसरे कमरे में ले गया और अश्लील हरकत करने लगा। वह रोने और चिल्लाने लगी तो आवाज सुनकर अन्य सहपाठी जब वहां पहुंचे तो देखा कि वह शिक्षक उनके साथ छेड़खानी कर रहा है।

सुनवाई उपरांत उक्त कोर्ट ने संजय कुमार मेहता को भादवि की धारा 341, 354बी, 506, पाक्सो 8 एवं 12 के तहत दोषी करार करते हुए फैसला को सुरक्षित रखा है। कोर्ट द्वारा 31 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। इस पूरे मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक पोक्सो नीलम कुमारी तथा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सुधीर कुमार झा ने बहस में हिस्सा लिया।

पाक्सो एक्ट के बारे में...

POCSO के तहत बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और अश्लील वीडियो जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो एक्ट-2012 बनाया था। इस एक्ट के तहत कड़ी सजा का प्रवधान है। 31 अगस्त को कोर्ट से जो फैसला मिलेगा, उससे इस तरह की घटना पर लगाम जरूर लगेगी।

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