नौवीं कक्षा के छात्र नहीं जानते कौन हैं देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, इस तरह सुपौल के सरकारी स्कूलों में हो रही पढ़ाई

सुपौल के सरकारी स्‍कूलों में संसाधनों और शिक्षकों की कमी के कारण बच्‍चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। नौंवी कक्षा के बच्‍चों देश के राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम नहीं जानते हैं। ऐसे में गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा को लेकर जितने भी...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 07:15 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 07:15 AM (IST)
नौवीं कक्षा के छात्र नहीं जानते कौन हैं देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, इस तरह सुपौल के सरकारी स्कूलों में हो रही पढ़ाई
सुपौल के सरकारी स्‍कूलों में संसाधनों और शिक्षकों की कमी के कारण बच्‍चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।

जागरण संवाददाता, सुपौल। विद्यालय की बदहाली और गिरते शैक्षणिक स्तर का नायाब नमूना देखने को मिला प्रोजेक्ट कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय पिपरा में। भले ही इस विद्यालय को प्लस टू का दर्जा प्राप्त है परंतु दिखता प्रारंभिक विद्यालय जैसा भी नहीं है। सच्चाई है कि खुद विभाग की अनदेखी के चलते स्कूली शिक्षा का ढांचा चरमराता दिख रहा है।

मंगलवार को दैनिक जागरण ने प्रोजेक्ट कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय पिपरा का जायजा लिया। नौ बजकर तीस मिनट हुए एक दो कर सात छात्रा विद्यालय पहुंची। शिक्षक-शिक्षिका भी निर्धारित समय पर पहुंचे। घंटी बजी और कक्षा शुरु हुई। एक कक्षा में 7 छात्रा को एक शिक्षक पढ़ा रहे थे । बाकी अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं एक कमरे में बैठ कर बातों में लगे थे।

प्रधान शिक्षक की अनुपस्थिति में सहायक शिक्षिका सुलेखा कुमारी इस समय प्रभार में थी। उन्होंने बताया कि कक्षा 9 और 10 मिलाकर 361 छात्राएं नामांकित हैं। वहीं 11वीं और 12वीं में 315 छात्राएं नामांकित हैं । इस तरह इस विद्यालय में कुल 676 बालिका नामांकित हैं। जिसके लिए माध्यमिक में 7 तथा प्लस टू में 6 शिक्षक पदस्थापित हैं। पदस्थापित कुल 13 शिक्षकों के बारे में जब जानकारी ली गई तो प्रभारी ने बताया कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के 4 शिक्षक आकस्मिक अवकाश तथा उच्च माध्यमिक की एक शिक्षिका मातृत्व अवकाश में है। बाकी के शिक्षक विद्यालय में मौजूद हैं ।

बच्चों की उपस्थिति के बारे में पूछने पर पहले तो प्रभारी सकपकाने लगी फिर कहा कि कल तो बच्चे आए थे परंतु आज कम आए हैं। जिसके बाद जब संचालित हो रहे वर्ग कक्ष का मुआयना किया तो कक्षा 9 में सिर्फ 7 छात्राएं ही उपस्थित थी। जिन्हें एक शिक्षक पढ़ा रहे थे। प्रधान ने बताया कि दसवीं कक्षा के बच्चे सेंट-अप होने के कारण अब विद्यालय नहीं आते हैं । 11वीं और 12वीं के बारे में बताया कि आज एक भी बच्चे विद्यालय नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में बच्चों की उपस्थिति यहां की शिक्षा व्यवस्था की असलियत को बताने के लिए काफी थी।

नौवीं कक्षा के छात्रा को नहीं थी बेसिक जानकारी

इधर जब कक्षा में पढ़ाई कर रहे नौवीं के बच्चों से मुखातिब हुए तो उस समय काफी आश्चर्य हुआ कि इन बच्चों को बेसिक जानकारी तक नहीं थी । यहां हमने पहले एक बच्चे से पूछा कि देश के राष्ट्रपति कौन हैं तो उसमें प्रतिभा पाटिल को ही देश का राष्ट्रपति बना डाला। दूसरे और तीसरे बच्चे तो कुछ बोल ही नहीं पाए ।

जब इन बच्चों से देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछा गया तो 7 में से पहले तीन बच्चों ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर एक बच्ची ने नरेंद्र मोदी का नाम कहा । बच्चों के इस रवैया से शिक्षक भी परेशान नजर आए। हालांकि एक शिक्षक ने जेनरल नालेज की भी जानकारी बच्चों को रखने की नसीहत देते हुए कहा कि हम लोग क्या करें। आज जो बच्चे विद्यालय आए हैं अगले कई दिनों तक उनका चेहरा नजर नहीं आता। शिक्षकों की बात से साफ झलक रहा था कि यहां न ही नियमित रूप से बच्चे आते हैं और ना ही नियमित कक्षा संचालित की जाती है ।

फिर हमने प्लस 2 कक्षा की तरफ रुख किया । यहां सभी कमरा बंद पड़ा था । कैमरा को देखते ही अंदर से दो शिक्षक बाहर निकलते हैं और विद्यालय की कु व्यवस्था का हाल सुनाने लगते हैं । उनमें से एक शिक्षक ने बताया कि किस व्यवस्था की बात करते हैं । कहने को तो यह बालिका विद्यालय है परंतु बालिका की सुरक्षा के लिए यहां कोई आधारभूत संरचना ही नहीं है । बरसों पूर्व बना एक जर्जर चहारदीवारी जगह-जगह टूट चुकी है। जिससे लोगों का आना-जाना हमेशा लगा रहता है। शौचालय की भी स्थिति ठीक नहीं है। कहने को तो विद्यालय में 4 शौचालय हैं परंतु उनमें से एक की ही स्थिति ठीक है। प्लस टू का जो भवन है वह भी जर्जर अवस्था में है। मरम्मती के नाम पर राशि भी खर्च की गई परंतु स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। छात्रों की उपस्थिति के बारे में जब उनसे जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि प्लस टू का टेस्ट हो जाने के कारण बच्चे विद्यालय नहीं आते। 11वीं का तो अभी तक नामांकन ही चल रहा है तो वह भी नहीं आते..। 

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