स्‍मार्ट सिटी की सड़कें तबेले में तब्‍दील, ग्वालटोला व कोयला घाट तक रोड पर बंधी रहती हैं गाय-भैंसें

स्‍मार्ट सिटी भागलपुर की सड़कें तबेले में तब्‍दील हो गई हैं। यहांं पर ग्‍वालटोला से लेकर कोयला घाट तक रोड पर ही गाय और भैसों को बांधा जा रहा है। इससे राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 11:30 AM (IST) Updated:Fri, 13 Aug 2021 11:30 AM (IST)
स्‍मार्ट सिटी की सड़कें तबेले में तब्‍दील, ग्वालटोला व कोयला घाट तक रोड पर बंधी रहती हैं गाय-भैंसें
स्‍मार्ट सिटी भागलपुर में रोड पर बांधी जा रही गाय और भैंसें। जागरण।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। पशुपालकों की मनमानी ने शहरी क्षेत्र की सूरत को बिगाड़ कर रख दिया है। इन्हें न तो सिस्टम की परवाह है और न ही प्रशासन का भय। सरकारी तंत्र ने भी इन्हें सड़कों के अतिक्रमण की खुली छूट दे रखी है। मोहल्ले की गलियों में मवेशियों का बसेरा है। जिससे आवागमन पूरी तरह से बाधित हो रहा है। मुख्य सड़क चारागाह बन गई है। मवेशियों के गोबर से सड़कें पटी हुईं हैं। शहर में आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस भी नहीं है।

- बरारी फैक्ट्री मार्ग व मायागंज मोहल्ले की सड़क पर झोपड़ी बना किया अतिक्रमण, बनाया तबेला

- मुख्य सड़कों व बाजारों में मंडराते रहते हैं मवेशी, राह में चलना हो जाता है मुश्किल

बाढ़ के कारण शहर में ग्रामीण क्षेत्र के 20 हजार मवेशियों की संख्या बढ़ी है। जबकि शहरी क्षेत्र में पहले से 10 हजार के करीब गाय, भैंस व सांड और बकरी हैं। पशुपालक सड़कों पर मवेशी को विचरण करने के लिए छोड़ देते हैं। कुछ पशुपालक तो सड़कों पर ही मवेशी को स्थायी रूप से बांधते हैं। इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

- 10 हजार के करीब गाय, भैंस, सांड और बकरी हैं शहरी क्षेत्र में

- 20 हजार मवेशियों की संख्या अतिरिक्त हो गई बाढ़ के कारण

आवारा पशुओं ने बढ़ाई परेशानी 

शहर के बाजारों में इन दिनों आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर के मुख्य चौराहों, गलियों, बाजारों में ये आवारा पशु घूमते रहते हैं। निगम के अडग़ड़ा पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। बाजारों में खरीदारी करने आए ग्राहक व वाहन चालक आवारा पशुओं से काफी परेशान हैं। शहर के दुकानदार भी आवारा पशुओं से कम दुखी नहीं हैं। गाय व भैंस के अचानक सड़क पर दौड़ जाने के कारण प्रतिदिन कोई न कोई चोटिल हो रहे हैं। छह वर्ष पहले तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के समीप कुछ वर्ष पूर्व एक भैंस के अचानक दौड़ जाने के कारण मारवाड़ी कॉलेज रसायन विज्ञान के शिक्षक की मौत हो गई थी।

कोयला घाट मार्ग पर पशुपालकों का कब्जा 

वार्ड 22 के कोयला घाट मार्ग की सड़क पूरी तरह से तबेला बन गया। सड़क पर गोबर बिखरी पड़ी है। पशुपालकों ने पूरी तरह से सड़क पर अतिक्रमण कर रखा है। जबकि तीन वर्ष पहले लोक जन शिकायत निवारण के निर्देश पर दो बार अतिक्रमण हटाया और फिर अतिक्रमणकारी काबिज हो गए। वहीं वार्ड 20 के ग्वालटोला की चार गलियों में गाय का बसेरा है। सड़क पर गोबर व मूत्र से आवागमन मुश्किल है। पैदल भी लोग नहीं गुजर पा रहे हैं। बरारी फैक्ट्री मार्ग व मुसहरी घाट के अलावा मायागंज और खंजरपुर की अधिकांश सड़कें तबेला में तब्दील हंै। शहर के मवेशी के पालक इन्हें सड़कों पर ही छोड़ देते हैं। सड़क किनारे खाली जमीन को तबेला बनाकर मवेशी पालन किया जा रहा है।

नालियां जाम, जलनिकासी बनी समस्या 

भीखनपुर के ईट भ_ा गली, ग्वाल टोला समेत आधा दर्जन मेाहल्ले में नालियों गोबर से अटी पड़ी है। पशुपालक गोबर को नाले में बहा देते हैं। इससे जहां बदबू से लोग परेशान है। वहीं नाले का निकास बाधित हो रहा है।

कांजी हाउस की व्यवस्था नहीं, अडग़ड़ा पर अतिक्रमण 

रेशमी शहर में आवारा पशुओं की संख्या हर साल बढ़ रही है, लेकिन कांजी हाउस की व्यवस्था अतबक नहीं हुई है। शहर को आबादी के अनुसार दो कांजी हाउस की जरूरत है। इसके लिए नगर निगम में पार्षद चर्चा तो करते हैं पर अमल में लाने के लिए कोई जतन नहीं करते। पीपरपांती और बागबाड़ी के पास निगम का अडग़ड़ा है लेकिन स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। तीन दशक पहले निगम आवारा पशुओं को पकड़कर अडग़ड़ा में रखा था। पशुपालक से निर्धारित शुल्क लेकर छोड़ा जाता था। लेकिन यह व्यवस्था पूरी तरह ठप हो चुकी है।

यहां है सबसे अधिक परेशानी 

शहर में आवारा पशुओं की संख्या इस कदर बढ़ी है कि जहां देखो गाय, बछड़े, सांड इत्यादि पशु इधर-उधर मुंह मारते नजर आते हैं। दुपहिया वाहन चालक एवं बाजारों में विशेषकर बच्चे इन पशुओं का शिकार हो रहे हैं। भीड़ वाले क्षेत्रों में पशुओं का झुंड सड़क हादसों का कारण बन रहा है। सब्जी मंडी में पड़ी गंदगी के समीप इन पशुओं की संख्या बढ़ रही है। मुख्य बाजार की सड़कों पर विचरण के लिए छोड़ दिया जाता है। खलीफाबाग से स्टेशन के बीच मवेशी के दौडऩे पर भगदड़ की स्थिति बन जाती है। इसमें कई लोग जख्मी होते हैं, जिसकी भरपाई जख्मी खुद करते हैं। खलीफाबाग, लोहापट्टी, वेराइटी चौक, खरमनचक, कोतवाली, जिला स्कूल मार्ग, सराय, तिलकामांझी व आदमपुर आदि सड़कों पर आवारा के साथ पालतू मवेशी भी होते हैं। जबकि आवारा पशुओं को नियंत्रित करने की जिम्मेवारी नगर निगम की है।

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