किशनगंज के बाढ़ पीडि़तों का दर्द... हर साल महानंदा और कनकई नदी के कटाव से लोग परेशान, नहीं मिल रही सरकारी मदद
किशनगंज में हर साल महानंदा और कनकई नदी कहर बरपा रही है। लेकिन लोगों को सरकारी राहत नहीं मिल पा रहा है। दशकों से कटाव का दर्द अब दवा मिलने की उम्मीद में साल दर साल बढ़ते जा रहा है। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कोचाधामन (किशनगंज) [सरफराज आलम]। बरसात के आगमन के साथ ही नदी किनारे बसे गांव के लोगों की टीस एक बार फिर बढऩे लगी है। हर वर्ष नदी के कटाव से निजात दिलाने हेतु सरकार व सरकार के प्रतिनिधियों के द्वारा किए जा रहे वादों का दर्द बरसात के आगमन के साथ एक बार फिर ताजा हो गई है। दशकों से कटाव का दर्द अब दवा मिलने की उम्मीद में साल दर साल बढ़ते जा रहा है। बीते वर्ष 2017 में आई बाढ़ व नदी कटाव से चकचकी और चनाडांगी आदिवासी टोला का वजूद ही खत्म हो गया। विस्थापित परिवार आज भी सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं, जो नदी कटाव के समस्या का एक जीता-जागता प्रमाण है। एक बार फिर नदी किनारे बसे आबादी को महानंदा और कनकई नदी के उफान का डर सताने लगा है।
प्रखंड क्षेत्र के घुरना चकचकी, बगलबाड़ी, डहुआ, खचपाड़ा, नेमूआ, चरैया बारहमसिया गांव महानंदा नदी के किनारे आबाद है। वहीं डोरिया चैनपुर, असूरा, मजकूरी, बलिया समेत कई अन्य गांव कनकई नदी के किनारे बसा है। हालांकि कनकई नदी के किनारे असूरा एवं महानंदा नदी किनारे बगलबाड़ी में तटबंध निर्माण कार्य किया गया है। इस कारण लोगों को कुछ हद तक नदी कटान से राहत मिली है। इन गांवों के कई ग्रामीणों ने बताया की सरकार तो तटबंध निर्माण के नाम पर हर वर्ष एक बड़ी राशि खर्च कर रही है लेकिन यह बोरी वाला तटबंध कुछ सालों में ही बहा जाता है। जब तक पत्थर से तटबंध का निर्माण नहीं किया जाता है तब तक नदी कटान का स्थायी समाधान संभव नहीं है। प्रखंड के ज्वलंत समस्याओं में से एक है नदी कटाव की समस्या।
दशकों से लोगों को इससे स्थायी निजात नहीं मिल पा रही है। साल दर साल इस समस्या से निजात पाने की आस लगाए बैठे लोगों के बीच नदी कटाव व विस्थापन की समस्या जस की तस रह गई है। इससे निजात पाने के लिए नदी किनारे आबाद इन गांवों के लोगों ने लगातार आवाज उठाया। लेकिन जिस हिसाब से समस्या का समाधान होना चाहिए था नहीं हुआ है। हर वर्ष नदी कटान से दर्जनों परिवार घर से बेघर हो जाते हैं। कृषि योग भूमि का एक बड़ा भूखंड भी हर साल नदी के गर्भ में समाता जाता है। पिछले दो सालों में नदी कटाव से बगलबाड़ी के भी एक दर्जन से अधिक परिवार घर से बेघर हो चुके है। तथा हाट टोला बगलबाड़ी के दर्जनों परिवार महानंदा नदी के कटाव के जद पर है। हालांकि यहां के लोग हर बार की तरह इस बार भी तटबंध निर्माण कराने की मांग सरकार व सरकार के प्रतिनिधियों से की है।
नदी कटाव से प्रभावित स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है। साथ ही इस समस्या से जिला प्रशासन व सरकार को अवगत कराया जा रहा है। ताकि बांध का मजबूत निर्माण कर लोगों के समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके। -इजहार असफी, विधायक