सतुआन के साथ पवित्र धार्मिक मास वैशाख आरंभ, मानव समाज के कल्याण के लिए शिव को किया जाता है जल अर्पण

सतुआन के साथ पवित्र धार्मिक मास वैशाख आरंभ हो गया। मानव समाज के कल्याण के लिए शिव की कृपा बनी रहे इसके निमित्त आज से टपक विधि से शिव का जल अर्पण किया जाता है। शिवलिंग के उपर इसके लिए जल से भरा घड़ा लटका दिया जाता है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 03:36 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 03:36 PM (IST)
सतुआन के साथ पवित्र धार्मिक मास वैशाख आरंभ, मानव समाज के कल्याण के लिए शिव को किया जाता है जल अर्पण
सतुआन के साथ पवित्र धार्मिक मास वैशाख आरंभ हो गया।

संस, भागलपुर। संक्रांत के हिसाब से सूर्य उत्तरायण हो गया है। शुद्ध, पवित्र और धार्मिक मास वैशाख का सतुआन के साथ बुधवार से आगाज हो गया। मानव समाज के कल्याण के लिए शिव की कृपा बनी रहे, इसके निमित्त आज से टपक विधि से शिव का जल अर्पण किया जाता है। इसके लिए शिव मंदिरों में शिवङ्क्षलग के ऊपर जल से भरा हुआ घड़ा लटका दिया गया है।

शहर के जाने माने कर्मकांडी ब्राम्हण समाज के प्रदेश महासचिव सहित्य एवं व्याकरणाचार्य पंडित रविन्द्र कुमार झा कहते हैं कि ऐसी मान्यता है प्राचीन काल में वैशाख मास में भीषण गर्मी होती थी। भगवान शिव को गर्मी से राहत दिलाने का विधान यह है कि एक घड़ा उसके नीचे एक छोटा सा छेद करते हैं। उसमें शुद्ध कपड़े की बत्ती बनाकर लगा दें। घड़े में जल भरकर शिवजी के ऊपर उसे लटका दें। एक-एक बूंद शिवङ्क्षलग पर जल गिरता है, जिससे भगवान ठंडा महसूस करते हैं। एक महीने तक घड़े में जल देने का विधान है। शिवङ्क्षलग पर एक- एक बूंद जल का गिरने से बहुत पुण्य मिलता है। पुत्र, संतान, भाग्योदय परिवार, समाज या विश्व के हितार्थ सभी कामना पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि सदियों पहले लोग अपने अपने दरवाजे पर बड़े-बड़े पियाउ रखते थे। आज के दिन सतुआन पर्व भी मनाया जाता है। कृषि क्षेत्र में लोग नया अन्न तैयार कर उसका सत्तू बनाकर खाते हैं। टिकोला भी आज से ही खाना आरंभ होता है। संक्रांत के हिसाब से आज से समय शुद्ध हो गया। शादी विवाह आदि सभी अ'छे और शुभ काम आज से आरंभ हो जाएंगे।

सादगी के साथ विशुआ और बैशाखी

संवाद सहयोगी, भागलपुर : गुरुद्वारा भागलपुर प्रबंधन कमेटी की ओर से गुरुद्वारा के गुरुङ्क्षसह सभा में बैशाखी पर्व कोरोना के कारण सादगी के साथ मनाया गया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए व सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए निशान साहिब का कपड़ा बदला गया। मीडिया प्रभारी हर्षप्रीत ङ्क्षसह ने बताया कि वैशाख को खालसा दिवस या सिख दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस अवसर पर गुरु के जीवन पर प्रकाश डाला जाता था, लेकिन इस बार आयोजन नहीं किया जा रहा है। गुरु गोविन्द ङ्क्षसह ने जात-पात से उपर उठकर समाज के उत्थान के लिए तथा कमजोर लोगों को एकत्रित करके दीक्षा देकर खालसा पंथ का निर्माण किया था। यह पर्व पंजाब में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। अध्यक्ष खेमचद बचियानी, सचिव सरदार त्रिलोचन ङ्क्षसह, तेजेंदर ङ्क्षसह ,सरदार हरचरण ङ्क्षसह,हर चरण ङ्क्षसह, श्रीचंद नागपाल, आदि ने बैशाखी पर्व पर बधाई दी।

उधर लोकपर्व विशुआ कोरोना के कारण साधारण ढंग से मनाया गया। कलश यानी विशौली में जलभर कर उस पर आम का पल्लव लगा टिकोला, पांच तरह के सत्तू , जौ के चूर्ण आदि चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा की गई। कई घरों में आज चूल्हा नहीं जलाया गया। कुलदेवी या विष्णु भगवान की मूर्ति के पास कलश स्थापित कर पूजा किया गया। पर्व पर लोग पसंद से चने का सत्तू, नमक, मिर्च, आम के टिकोले की चटनी खाया । विशुआ पर्व पर ग्रामीण क्षेत्र में भर्तृहरी का आयोजन आज भी प्रचलित है। महिला के परिधान में पुरुष नृत्य करते हैं और गाते हैं। लेकिन अब यह परंपरा समाप्त हो गई है। सबौर के परघड़ी, बैजलपुर , नाथनगर वारसलीगंज समेत कई अन्य जगहों पर पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता होती थी लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस बार यह आयोजन नहीं हो सका।

विलुप्त हो गई घाटो घटेसर की परंपरा

लोकपर्व घाटो-घटेसर की प्राचीन परंपरा आज विलुप्त होती जा रही है, लेकिन शहर के ग्रामीण क्षेत्र में विशुआ पर्व के पांच दिन पूर्व यानी 10 अप्रैल से पांच दिनों तक यह पर्व बहनों द्वारा भाई की लंबी उम्र के लिए कहीं कहीं मनाई गई। बहनें मिट्टी के बने घाटो -घटेसर की पूजा करती हैं।  

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