136 वर्षों में दूसरी बार नहीं लगेगा कदवा में एतिहासिक चैती दुर्गा मेला, दूर-दूर तक है मंदिर की प्रसिद्धि

कोरोना के कारण दुर्गापूजा पर कटिहार के कदवा में मेला नहीं लगेगा। 136 साल के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब यहां पर मेला नहीं लग रहा है। 1885 ई में कदवा गांव के समीप सोनैली पूर्णियां मुख्य पथ के निकट मंदिर की स्थापना की गई थी।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 11:13 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 11:13 AM (IST)
136 वर्षों में दूसरी बार नहीं लगेगा कदवा में एतिहासिक चैती दुर्गा मेला, दूर-दूर तक है मंदिर की प्रसिद्धि
कोरोना के कारण दुर्गापूजा पर कटिहार के कदवा में मेला नहीं लगेगा।

संवाद सूत्र ,कदवा (कटिहार)। मनोकामना पूरण के रुप में विख्यात एक सौ 36 वर्ष प्राचीन चैती दुर्गा मंदिर कदवा के प्रांगण में लगातार दूसरी बार मेले का आयोजन नहीं होगा। कोरोना वायरस के खतरे एवं गाइड लाइन के पालन के लिए मंदिर कमेटी ने यह निर्णय लिया है।

1885 में हुई थी मंदिर की स्थापना

सन 1885 ई में कदवा गांव के समीप सोनैली पूर्णियां मुख्य पथ के निकट मंदिर की स्थापना कर वहां पूजा प्रारंभ की गई थी। तब से लेकर अनवरत वहां प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है। लंबे चौड़े भूभाग पर स्थापित मंदिर के प्रांगण में लगने वाला मेला पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। कदवा के अलावा अन्य प्रखंडों के साथ अररिया , किशनगंज , पूर्णियां जिले के साथ-साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच कर पूजा अर्चना करते थे। लोगों में यह विश्वास है कि वहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

बृहत परिसर में बड़ा मेले का आयोजन किया जाता था। नेपाल की मशहूर कपरफोरा रासलीला पार्टी के साथ नाटक व नाच आदि का आयोजन भी यहां होता था। मेले में मौत का कुंआ, जादू , तमाशा के साथ बड़ा बड़ा झूला एवं काफी संख्या में दुकानें लगती थी। मंदिर को काफी जमीन भी है, लेकिन दो वर्ष से कोरोना वायरस की वजह से प्रशासनिक आदेश का पालन करते हुए मेला नहीं लगाने का निर्णय कमेटी ने लिया है। इस बाबत बोर्ड लगा कर लोगों को जानकारी दी जा रही है। मंदिर में पूजा अर्चना पर भी इस बार पाबंदी है। सिर्फ पंडित एवं पुजारी द्वारा देवी की पूजा की जा रही है।

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क्या कहते हैं कमेटी के सचिव

मंदिर कमेटी के सचिव श्रीनिवास विश्वास ने बताया कि मंदिर के प्रति लोगों में असीम आस्था है। इस वर्ष यहां मेला का आयोजन नहीं होगा।

मंदिर परिसर में किसी भी सूरत में भीड़ नहीं लगाने को लोगों को सूचित किया जा रहा है।

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