गंजेपन के शिकार हो रहे कोसी के युवा, जिंक की कमी है बड़ा कारण, इन बातों का रखें ध्‍यान

कोसी के युवा गंजेपन का शिकार हो रहा है। जिंक की कमी से युवाओं में लगातार बाल झड़ने की बीमारी सामने आ रही है। इससे यहां के लोग परेशान हैं। लोगोंं ने बताया कि पहले यहां पर लोग...!

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 04:24 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 04:24 PM (IST)
गंजेपन के शिकार हो रहे कोसी के युवा, जिंक की कमी है बड़ा कारण, इन बातों का रखें ध्‍यान
कोसी के युवा गंजेपन का शिकार हो रहा है।

सहरसा [कुंदन कुमार]। रसायनिक खाद के लगातार प्रयोग के कारण कोसी क्षेत्र की मिट्टी में ङ्क्षजक व अन्य पोषण तत्वों की बेहद कमी हो रही है। मिट्टी जांच में यह बात सामने आई कि इस क्षेत्र के मिट्टी में अम्ल की मात्रा अधिक मिलने से खेत बंजर हो रही है, वहीं ङ्क्षजक की कमी के कारण बाल झडऩे, कुपोषण व रोग प्रतिरोधक क्षमता की लोगों में कमी आ रही है। रासायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग के कारण मिट्टी की उर्वराशक्ति दिन- व- दिन कमजोर होती जा रही है। खाद्यान्न में पोषक तत्वों की कमी के कारण कई तरह की बीमारियां बढ़ रही है। मिट्टी प्रयोगशाला में जांच सैंपल रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि इस इलाके की जमीन में ङ्क्षजक, नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटैशियम, सल्फर और बोरोन की बेहद कमी होती जा रही है। चिकित्सकों का मानना है कि इससे बाल झडऩे, याददाश्त की कमी, रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने की समस्या बढ़ रही है ।

हर क्षेत्र में पाई जा रही है जिंक व बोरोन की कमी

मिट्टी जांच प्रयोगशाला से विगत वर्षों के जारी मृदा स्वास्थ्य कार्ड का अध्ययन करने से स्पष्ट हो रहा है कि कोसी क्षेत्र की मिट्टी में अलग- अलग क्षेत्र में 12 पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है। जिसमें जैविक कार्बन, पोटेशियम, आयरन, कापर आदि शामिल हैं परंतु, लगभग सभी क्षेत्र में विशेष रूप से ङ्क्षजक, बोरोन और सल्फर की कमी पाई जा रही है। जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद ङ्क्षसह कहते हैं कि मिट्टी जांच के दौरान उस क्षेत्र की मिट्टी में जिन तत्वों की कमी पाई जाती है, उसे पूरा करने के लिए सलाह के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड संबंधित किसान को दिया जाता है। ताकि वे मिट्टी की जरूरत के हिसाब से खाद आदि का प्रयोग कर सकें।

क्या कहते हैं चिकित्सक

चिकित्सक डा. विनय कुमार सिंह कहते हैं कि जिंक की कमी के कारण बाल झडऩे, कुपोषण याददाश्त समाप्त होने और रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने की समस्या सबसे अधिक बढ़ रही है। वहीं सल्फर की कमी से मुहांसे, आर्थराइटिस, नाखून विकृत होने, शरीर में ऐंठन, गैस्ट्रिक, जख्म भरने में देरी और मोटापा की समस्या उत्पन्न होती है। उनका कहना है कि आए दिन इस तरह की समस्याओं के ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ रही है।

मिट्टी में जिंक की कमी के कारण किसानों को पर्याप्त मात्रा में जिंक सल्फेट के प्रयोग की सलाह दी जा रही है। मिट्टी जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर अन्य पोषक तत्व की कमियों को दूर करने के लिए भी विभाग से निर्देश दिए जा रहे हैं। -दिनेश प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।

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