लौट आई बाढ़! खगड़िया में कोसी और बागमती ने लिया यू टर्न, कई इलाके जलमग्न

खगड़िया में कोसी और बागमती नदियों ने यू टर्न ले लिया है। इनके जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। घर लौट रहे या लौट चुके बाढ़ पीड़ितों के माथे पर एक बार फिर चिंता की लकीरें खिच चुकी हैं। फिलहाल फ्लड फाइंटिंग का कार्य भी जारी है।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Mon, 30 Aug 2021 03:58 PM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 03:58 PM (IST)
लौट आई बाढ़! खगड़िया में कोसी और बागमती ने लिया यू टर्न, कई इलाके जलमग्न
खगड़िया में कोसी और बागमती का जलस्तर बढ़ा।

निर्भय, जागरण संवाददाता, खगड़िया। Khagaria News: कोसी और बागमती (Kosi And Bagmati) नदियों ने एक बार फिर यू टर्न ले लिया है। इसके चलते जिले में बाढ़ का संकट गहरा गया है। कोसी बीते रविवार को खतरे के निशान से एक मीटर 68 सेमी और बागमती दो मीटर 49 सेमी ऊपर बह रही थी। बागमती  उच्चतम जलस्तर से मात्र 81 सेमी नीचे है।

जलस्तर का आंकड़ा

आंकड़ों पर गौर करें, तो बीते शनिवार को कोसी खतरे के निशान से एक मीटर 54 सेमी और बागमती दो मीटर 40 सेमी, शुक्रवार को कोसी एक मीटर 53 सेमी और बागमती दो मीटर 31 सेमी, गुरुवार को कोसी एक मीटर 55 सेमी और बागमती दो मीटर 28 सेमी ऊपर थी। कहने का मतलब कोसी-बागमती में उफान जारी है।

दोबारा बाढ़ आने से हतप्रभ हैं लोग

कोसी-बागमती के जलस्तर में इस वृद्धि से दोबारा तेजी से बाढ़ का पानी गांवों में फैलने लगा है। लोग हैरान और परेशान हैं। अमूमन एक बार पानी जाने के बाद बाढ़ इलाके के लोग निश्चिंत होकर आगे की तैयारी करते हैं। अमनी पंचायत के किसान प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं कि बाढ़ ने काफी परेशान किया है। पंचायत की हियादपुर गांव पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है। यहां के लोग तटबंध और ऊंची सड़क पर शरण लिए हुए हैं। अंचल प्रशासन की ओर से चार नाव चलाई जा रही है, परंतु अब तक पालिथीन सीट नहीं दिया गया है। जिससे बाढ़ प्रभावित संकट में दिन-रात बीता रहे हैं।

पांच सौ एकड़ में लगी धान की फसल गई डूब

अमनी पंचायत के किसानों ने जुलाई की बाढ़ जाने बाद दोबारा धान की रुपाई की। लेकिन पानी फिर से आ गया और पांच सौ एकड़ में लगी धान की फसल डूब गई। पंचायत की अधिकांश खेती तटबंध के अंदर है। किसान प्रमोद कुमार ङ्क्षसह की दो एकड़, अरुण चौधरी, सुनील चौधरी, श्रवण ङ्क्षसह की दो-दो एकड़, चरितर ङ्क्षसह की तीन एकड़ में लगी धान की फसल डूब गई है। ऐसे दो-चार नहीं कई किसान हैं, जो खून की आंसू रो रहे हैं। एक एकड़ धान की रोपाई में पांच से छह हजार खर्च पड़ा। सारी पूंजी डूब गई।

बाढ़ नियंत्रण-दो, खगड़िया के कार्यपालक अभियंता गणेश प्रसाद सिंह ने कहा कि कृष्ण जन्माष्टमी के बाद नदियों के घटने की उम्मीद है। लेकिन बाढ़ की अवधि 15 सितंबर तक मानी जाती है।

chat bot
आपका साथी