15 वर्ष बाद का भारत... बदल रहे संस्कार, अब बदलेगा समाज

कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका पर लोग डरे-सहमे हैं। लॉकडाउन के बाद घरों में बंद हैं। ऐसे में सफाई कर्मी घर-घर जाकर कूड़ा संग्रह कर रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 02:26 PM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 02:26 PM (IST)
15 वर्ष बाद का भारत... बदल रहे संस्कार, अब बदलेगा समाज
15 वर्ष बाद का भारत... बदल रहे संस्कार, अब बदलेगा समाज

भागलपुर [जीतेंद्र कुमार]। पहले जिन सफाई कर्मियों को लोग घर के अंदर बुलाने में परहेज करते थे, आज उन्हें बच्चे सड़क पर जाकर पानी पिला रहे हैं। यह हमारे भविष्य के समाज की तस्वीर है। एक ऐसा समाज जहां कोई भी छोटा-बड़ा नहीं होगा।

दरअसल, कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका पर लोग डरे-सहमे हैं। लॉकडाउन के बाद घरों में बंद हैं। ऐसे में सफाई कर्मी घर-घर जाकर कूड़ा संग्रह कर रहे हैं। खुद और स्वजनों की चिंता छोड़ औरों की फिक्र कर रहे हैं।

चंपानगर विषहरी स्थान के पास पांच वर्षीया पीहू अपने तीन साल के छोटे भाई जयश के साथ मिलकर सफाई कर्मियों को हर दिन पानी पिला रही है। इन दोनों को देख कर अब आस-पड़ोस के लोग भी ऐसा करने लगे हैं। पार्षद पंकज दास ने बताया कि पहले लोग सफाई कर्मियों से दूरी बना कर रहते थे। घर के अंदर भी प्रवेश करने से मना कर देते थे, लेकिन दोनों बच्चों ने लोगों का नजरिया ही बदल दिया। अब लोग खुद सफाई कर्मियों को भोजन और पानी दे रहे हैं। उनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं कर रहे हैं। समाज

शिक्षा की बदौलत हो रहा सामाजिक बदलाव

मारवाड़ी कॉलेज के प्राध्यापक सह समाजशास्त्री डॉ. अजय कुमार सिंह की मानें तो नई पीढ़ी की सोच बदली है। शिक्षा और सहिष्णुता का स्तर बढ़ा है। यह नया परिवर्तन निश्चित रूप से समाज को नई दिशा में ले जाएगा। सफाई कर्मियों की आमदनी कम होती है। ये लोग सफाई के समय दूसरे लोगों द्वारा फैलाए गए कचरे को साफ करते हैं। बावजूद, कई लोग इनके साथ उचित व्यवहार नहीं करते हैं। डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि इन दो बच्चों द्वारा शुरू की गई मुहिम का आसपास के कई घरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यदि सभी लोग एक-दूसरे से अच्छाई सीखें तो समाज और देश को बदलने में देर नहीं लगेगी।

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