कटिहार की तीन पंचायतों में राशि के अभाव में अधूरा पड़ा है पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य

कटिहार में फंड की कमी के चलते पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। ऐसा एक पंचायत में नहीं तीन पंचायतों में है। जिन उद्देश्यों से इस भवन का निर्माण होना था। ऐसे में वो भी ठंडे बस्ते में जा चुके हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 02:21 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 02:21 PM (IST)
कटिहार की तीन पंचायतों में राशि के अभाव में अधूरा पड़ा है पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य
नहीं पूरा हो रहा पंचायत भवन का निर्माण कार्य।

संवाद सूत्र, बलरामपुर (कटिहार): बलरामपुर प्रखंड अंतर्गत शाहपुर, महिशाल एवं बिजौल पंचायत में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य राशि के अभाव में कई महीनों से अधूरा पड़ा है। बिहार सरकार के महत्वाकांक्षी योजना के तहत लगभग एक वर्ष पूर्व तीनों पंचायतों में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। पंचायत सरकार भवन के निर्माण का मुख्य उद्देश्य सभी कार्यालयों का संचालन एक छत के नीचे करने का है। विभाग से समय पर राशि उपलब्ध नहीं कराए जाने से निर्माण कार्य बाधित है।

पंचायत सचिव शेख आरिफ ने बताया कि अब तक हुए निर्माण कार्य की मापी पुस्तिका सहित अन्य कागजात प्रखंड कार्यालय में जमा करा दिया गया है। प्रखंड कार्यालय से मापी पुस्तिका के आधार पर संबंधित विभाग से बकाए राशि की मांग भी की जा चुकी है। राशि प्राप्त होते ही निर्माण कार्य को तेजी से अंतिम रूप देने का प्रयास किया जाएगा। स्थानीय ग्रामीण मु अशरफ, आरिफ़ हुसैन, दारा नूनियां, नसरुल हक, सेवेन यादव, अबु तालिब, संजय चौधरी, संजय पासवान, राजू ठाकुर, चंदन कुमार, नकुल यादव आदि ने संबंधित विभाग से शीघ्र राशि आवंटित कर समय सीमा के अंदर भवन के निर्माण कार्य को पूरा करने की मांग की है।

मौसम की मार के साथ डीएपी खाद नहीं मिलने से मक्का किसान परेशान

संवाद सूत्र, सेमापुर (कटिहार): जिले में नकदी फसल के रुप में मक्का की खेती होती है। लेकिन इस बार पहले प्रकृति की मार फिर खाद की मार का असर मक्का की खेती पर दिख रहा है। 15 अक्टूबर से शुरु होने वाली मक्का की खेती पर पहले प्रकृति की मार पड़ी। अक्टूबर में हुई वर्षा के कारण खेत देर से सूखने के कारण इसकी खेती विलंब से शुरु हुई। लेकिन खेत तैयार होने के बाद अब बाजारों में रासायनिक खाद डीएपी व पोटाश की किल्लत एवं कालाबाजारी होने से मक्का के फसल की बुआई पर ग्रहण लग गया है। हाल यह है कि किसान अब मक्के की जगह खेतों में गेहूं, दलहन व तेलहन लगा रहे हैं।

जानकारी हो कि कटिहार में किसान मक्के की खेती नकदी फसल के रुप में करते हैं। यहां से मक्का रेल व ट्रक के द्वारा बड़े बड़े शहरों में पहुंचती है। मक्के की अच्छी पैदावार के कारण कटिहार जिले के चार स्टेशन पर रेलवे का रैक प्वाइंट भी लगता है। अक्टूबर में लगने वाला मक्का मार्च तक बाजार में उतर जाता है। लेकिन इस बार मक्का की बुआई में विलंब होने के कारण इसके समय पर बाजार में आने की संभावना कम ही दिखती है। मौसम की मार के साथ रासायनिक खाद की किल्लत इसकी खेती को प्रभावित कर रही है। यही कारण है कि किसान इस बार मक्का की खेती से विमुख हो रहे हैं।

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