स्कूल के लिए भवन का नहीं हो सका है निर्माण, यहां झोपडिय़ों में गढ़े जा रहे नौनिहालों के भविष्य

सुपौल में शिक्षा-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं हैं। यहां कुछ विद्यालय तो चलता-फिरता विद्यालय है क्योंकि वहां पढऩे वाले बच्चों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। अभिभावक इस समस्या के निदान के लिए बार-बार आवाज उठाते हैं लेकिन कोई समाधान नहीं होता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 11:10 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 11:10 PM (IST)
स्कूल के लिए भवन का नहीं हो सका है निर्माण, यहां झोपडिय़ों में गढ़े जा रहे नौनिहालों के भविष्य
इस तरह के स्‍कूलों में पढ रहे बच्चे

सुपौल, जेएनएन। प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों नौनिहालों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भवन नहीं है। नौनिहालों का भविष्य झोपडिय़ों में गढ़ा जा रहा है। दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं जहां पढऩे वाले बच्चे बरसात, धूप तथा जाड़े में सुरक्षित जगह खोजने को मजबूर होते हैं।

प्रखंड क्षेत्र में संस्कृत विद्यालय 11, मदरसा विद्यालय 6, उच्च विद्यालय 10, मध्य विद्यालय 48 तथा प्राथमिक विद्यालय की संख्या 83 है। इन विद्यालयों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं का नामांकन है। इनमें से कई ऐसे विद्यालय हैं जो या तो फूस की झोपड़ी में चलते हैं या फिर वृक्ष के नीचे। कुछ विद्यालय तो चलता-फिरता विद्यालय है क्योंकि वहां पढऩे वाले बच्चों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। अभिभावक इस समस्या के निदान के लिए बार-बार आवाज उठाते हैं लेकिन कोई समाधान नहीं होता है।

नवसृजित विद्यालयों के लिए कई जगहों पर लोग जमीन देने के लिए आगे आए लेकिन उसका निबंधन नहीं हो सका। दान की जमीन के निबंधन के लिए अंचल कार्यालय से प्रक्रिया पूरी कर उसे जिला निबंधन कार्यालय भेजा जाता है । निबंधन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो रही है। प्रखंड क्षेत्र में कुछ जगह तो ऐसे अभी हालात बन गए कि पहले अभिभावकों ने जिस उत्साह के साथ जमीन दान में दिया बाद में वापस ले लिया। इस कारण कई विद्यालय को जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी। फूस की झोपड़ी में पढऩे को विवश बच्चे अब धीरे-धीरे दूसरे विद्यालय जाने लगे हैं।

पिछले वर्ष प्रखंड क्षेत्र के वैसे विद्यालय जिनके पास अपना भवन नहीं था उसे नजदीक के मध्य विद्यालयों में टैग कर दिया गया था। शिक्षा विभाग के इस आदेश के तहत शिवनंदन यादव प्राथमिक विद्यालय गढिय़ा राहुल शर्मा टोला पिपरा खुर्द महेंद्र सिंह राय धोबी टोला पिपरा खुर्द खापटोला सरायगढ़ सीताराम मेहता टोला कल्याणपुर सहित कई ऐसे विद्यालय थे जिस का संचालन पंचायत के वैसे विद्यालय में होने लगा जिनके पास अपना भवन था लेकिन कुछ ही सप्ताह बाद विद्यालय से बच्चे दूर हो गए और धीरे-धीरे शिक्षक अपनी पुरानी जगह पर चले गए। अब तक भवनहीन और भूमिहीन विद्यालय अपनी-अपनी जगह ही अवस्थित है। विद्यालय भवनहीन रहने के कारण बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

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