डिजिटल सिग्नेचर के पेंच में नहीं खुल सका बिहार को झारखंड से जोडऩे वाले पुल का टेंडर

भागलपुर-गोड्डा मार्ग पर पंजवारा के पास चीर नदी पर बनने वाले पुल का 16 जुलाई को ही खुलना था टेंडर। 40 करोड़ की लागत से उच्च स्तरीय पुल निर्माण का होना है निर्माण इपीसी मोड पर बनेगा। 58 साल पुराने पुल अब मरम्मत लायक भी नहीं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 01:47 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 01:47 PM (IST)
डिजिटल सिग्नेचर के पेंच में नहीं खुल सका बिहार को झारखंड से जोडऩे वाले पुल का टेंडर
चीर नदी पर पुल कभी भी हो सकता है ध्वस्त।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर और गोड्डा के बीच पंजवारा के पास चीर नदी पर उच्च स्तरीय पुल का टेंडर खोलने का मामला डिजिटल सिग्नेचर के पेंच में फंस गया है। टेंडर 16 जुलाई को खोला जाना था। दरअसल, जिस समय टेंडर हुआ था उस दौरान मनोरंजन कुमार पांडेय कार्यपालक अभियंता और प्रदीप कुमार एनएच विभाग के अधीक्षण अभियंता थे। 30 जून को मनोरंजन पांडेय सेवानिवृत्त हो गए और उनके जगह अरविंद कुमार सिंह को कार्यपालक अभियंता बनाया गया, जबकि प्रदीप कुमार का दूसरे जिला में स्थानांतरण हो गया। उनके जगह सत्तार खलीफा अधीक्षण अभियंता बनाए गए। अब नए पदाधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर को सिस्टम में लोड करने के बाद टेंडर खोला जा सकेगा।

इस पुल के बनने के बाद गोड्डा और भागलपुर के बीच आवागमन सुलभ होगा। भागलपुर का गोड्डा से सड़क मार्ग से संपर्क बना रहेगा। उच्च स्तरीय आरसीसी पुल के निर्माण में 40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अक्टूबर तक पुल निर्माण शुरू करने की योजना है। पुल का निर्माण इंजीनियरिंग प्रॉक्यूरमेंट कंस्ट्रैक्शन (इपीसी) मोड में होगा। एनएच विभाग के अधिकारियों के अनुसार पुल बनाने वाली एजेंसी को ही इंजीनियरिंग, डिजाइनिंग और कंस्ट्रक्शन कार्य करना होगा।

1963 में हुआ था पुल का निर्माण

दरअसल, चीर नदी पर 58 साल पूर्व निर्मित पुल जर्जर हो चुका है। पुल मरम्मत कराने लायक तक नहीं है। वाहनों के दवाब झेलने की स्थिति में नहीं है। पुल कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। बिहार को झारखंड व बंगाल से जोडऩे वाला यह महत्वपूर्ण पुल है। इस पुल का वर्ष 1963 में कराया गया है। उचित रखरखाव के अभाव में पुल खराब हो गया। इस पुल पर भागलपुर, धोरैया, गोड्डा, बांका सहित बंगाल व झारखंड के प्रतिदिन छोटे-बड़े पंद्रह-बीस हजार वाहनों का परिचालन होता है। दो राज्‍यों को जोड़ने वाली यह पुल व्‍यावसायिक दृष्टिकोण से काफी महत्‍वपूर्ण है। लगातार जर्जर हो रहे इस पुल पर ध्‍यान कभी भी विभागीय अधिकारियों ने नहीं दिया।

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