तेजस्वी पर भी चढ़ा तेजप्रताप का रंग, राजनीति से दूर प्रवचन देते नजर आए

राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी पर तेजप्रताप का रंग चढ़ा। वे पूर्णिया में नये अंदाज में दिखे। अध्यात्मिक रंग में सराबोर नजर आए। पढ़ें वे क्‍या-कुछ बोले हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 08:40 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 10:41 PM (IST)
तेजस्वी पर भी चढ़ा तेजप्रताप का रंग, राजनीति से दूर प्रवचन देते नजर आए
तेजस्वी पर भी चढ़ा तेजप्रताप का रंग, राजनीति से दूर प्रवचन देते नजर आए

पटना [जेएनएन]। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर भी तेजप्रताप का रंग चढ़ा। वे पूर्णिया में बिल्‍कुल नये अंदाज में दिखे। वे पूरे अध्यात्मिक रंग में सराबोर नजर आए। दरअसल पूर्णिया में तीन दिवसीय 38वां कबीर महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्‍सव का शनिवार को तीसरा दिन है। इसी समारोह में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शुक्रवार को शामिल हुए। उन्होंने संत कबीर के समाज में दिए गए योगदान की जमकर सराहना की तथा कहा कि कबीर आज भी प्रासंगिक हैं। 

तेजस्वी ने कहा कि समता मूलक समाज की मशाल को जन-जन तक पहुंचाने में संत कबीर का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने उनकी पंक्तियों को दोहराया कि दुर्बल को न सताइए जाकि मोटी हाय, बिना जीव की हाय से लोहा भस्म हो जाय'। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त गैर बराबरी के समूल नाश के लिए संत कबीर आज सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। 
आज की तरह कबीर के समय भी थी जाति-पांति
उन्होंने कहा कि आज की ही तरह कबीर के समय में देश संकट  की  घड़ी  से  गुजर  रहा  था। सामाजिक व्यवस्था पूरी तरह से डगमगाई हुई थी। अमीर वर्ग, वैभव-विलासिता का जीवन जी रहा था, वहीं गरीब दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा था। हिन्दू और मुस्लिम के बीच जाति-पांति, धर्म और मजहब की खाई गहरी होती जा रही थी। कबीर साहेब ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, बुराइयों को उजागर किया।




बड़े निडर थे कबीर
उन्होंने कहा कि संत कबीर भक्तिकालीन एकमात्र ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने राम-रहीम के नाम पर चल रहे पाखंड, भेद-भाव, कर्म-कांड को व्यक्त किया था। आम आदमी जिस बात को कहने क्या सोचने से भी डरता था, उसे कबीर ने बड़े निडर भाव से व्यक्त किया था। 

तो हमारी आत्मा शुद्ध होनी चाहिए
धार्मिक पाखंड का विरोध करते हुए कबीर कहते हैं कि भगवान को पाने के लिए हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। वह तो घट-घट का वासी है। उसे पाने के लिए हमारी आत्मा शुद्ध होनी चाहिए।  भगवान न तो मंदिर में है, न मस्जिद में है। वह तो हर मनुष्य में है।



'कस्तूरी कुंडली बसै...'
तेजस्वी ने कबीर की पंक्ति 'कस्तूरी  कुंडली बसै  मृग ढूंढें बन माँहि, एसै घटि-घटि राम हैं, दुनियाँ देखै नाँहि' का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी अपने समाज में ऊंच-नीच, जातिगत उत्पीड़न और घोर अमानवीय अन्याय के बीच कबीर साहेब के उद्देश्यों को हर गांव और गली, हर शहर और मोहल्ले तक ले जाने की ज़रूरत है. 

कबीर वृद्धाश्रम की होगी स्थापना
उन्होंने कहा कि राजद सांसद मनोज कुमार झा ने सांसद निधि से कबीर बहुजन चेतना केंद्र सह पुस्तकालय, कबीर शोध संस्थान व कबीर वृद्धाश्रम की स्थापना की जाएगी। इसके लिए काम शुरू भी कर दिया गया है। बता दें कि इसके पहले तेजस्वी कटिहार में पुलवामा हमले के खिलाफ आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भी पहुंचे। उन्होंने शहीदों को नमन करते हुए उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं। 


तेजप्रताप तो पहले से डूबे हुए आध्‍यात्मिक रंग में 

तेजस्‍वी के बड़े भाई तो पहले ही आध्‍यात्मिक रंग में डूबे हुए हैं। वे हमेशा मथुरा-वृंदावन की गलियों में घूमते रहते हैं। कई बार काशी नगरी भी गये हुए हैं। इतना ही नहीं, वे हमेशा संत की ड्रेस में भी नजर आते हैं। उनके ललाट पर आप हमेशा तिलक लगा हुआ देख सकते हैं।  खुद को वे कन्‍हैया भी कहते हैं और बांसुरी भी उसी अंदाज में बजाते हैं। 

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