फरमान जारी होते ही भागे-भागे स्कूल पहुंचे गुरुजी, स्‍वतंत्रता दिवस की तैयारी

जिला शिक्षा पदाधिकारी के निर्देश के बाद सरकारी स्‍कूलों के शिक्षक स्‍कूल पहुंचे। शिक्षकों ने कार्यालय कार्य किया। अनाज वितरण के दौरान शारीरिक दूरी का पालन नहीं करने पर चिंता जताई।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 01:44 PM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 01:44 PM (IST)
फरमान जारी होते ही भागे-भागे स्कूल पहुंचे गुरुजी, स्‍वतंत्रता दिवस की तैयारी
फरमान जारी होते ही भागे-भागे स्कूल पहुंचे गुरुजी, स्‍वतंत्रता दिवस की तैयारी

भागलपुर, जेएनएन। जिला शिक्षा पदाधिकारी का फरमान जारी होने के बाद शिक्षक भागे-भागे स्कूल पहुंचे। लॉकडाउन के कारण करीब चार महीनों से शिक्षक स्कूल नहीं आ रहे थे। गुरुवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने शिक्षकों को निर्देश दिया था कि हर हाल में स्कूल में योगदान दें। इसके बाद शिक्षक स्कूल पहुंचे। यहां मध्याह्न भोजन का चावल वितरण से लेकर नामांकन और राशि हस्तांतरण का निबटारा किया। डीईओ ने बताया कि लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद है। बच्चों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रखा जाएगा। इधर, प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. शेखर गुप्ता ने कहा कि भागलपुर शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में अनाज वितरण के क्रम में अभिभावक शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे हैं। बिना मास्क के ही पहुंच रहे हैं। ऐसे में शिक्षक कोरोना संक्रमित की आशंका से सहमे हुए हैं।

स्वतंत्रता दिवस को लेकर ऑनलाइन होगी प्रतियोगिता

इस बार सरकारी स्कूलों के बच्चों के बीच ऑनलाइन प्रतियोगिता होगी। आठ से 15 अगस्त तकगंदगी मुक्त अभियान के तहत अलग-अलग विषयों पर प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। शुक्रवार को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की ओर से सभी स्कूल के प्रधानाध्यापक को पत्र भेज दिया गया है। छात्र-छात्राओं के बीच 'गंदगी मुक्त मेरा गांव' विषय पर कक्षा छह से आठ के लिए पेंटिंग और कक्षा नौ से 12 वीं के छात्र-छात्राओं को निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इस प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले बच्चों को दो अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा।

बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने को कहा

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जिले के कुछ शिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिलाया है। ताकि वे बच्‍चों को सोशल नेटवर्क के माध्‍यम से पढ़ा सके। कोरोना काल में सभी शिक्षण संस्‍थान बंद हैं। उन्‍होंने कहा है कि प्रधानाध्‍यापक लगातार फोन पर बच्चों से संपर्क बनाए रखें। पढ़ाई की मूल्यांकन करें। सोशल नेटवर्क के माध्यम से बच्चों को मार्गदर्शन करें। बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लें। 

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