भागवत कथा : बोले अनंताचार्य- केवल मंगलचरण को समझने से सभी छह दर्शन का ज्ञान हो सकता है

भागलपुर के चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में स्‍वामी अनंताचार्य जी महाराज का प्रवचन चल रहा है। सात दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन उन्‍होंने भागवत कथा पुराण के मंगलाचरण की महिमा का बखान किया। इस अवसर पर भजनों की प्रस्‍तुति हुई।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:08 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:08 AM (IST)
भागवत कथा : बोले अनंताचार्य- केवल मंगलचरण को समझने से सभी छह दर्शन का ज्ञान हो सकता है
चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में भागवत कथा करते स्‍वामी अनंताचार्य जी महाराज।

भागलपुर, जेएनएन। चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में आस्था की अविरल धारा बह रही है। वृंदावन के संत अनंत श्री विभूति जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य जी महाराज श्रीमद भागवत कथा के माध्यम से ज्ञान की गंगा में भक्तों को डुबकी लगवा रहे है। मंदिर प्रागंण में बड़ी संख्या में भक्तजन कथा श्रवण को जुट रहे है। सात दिनों तक चलने वाले इस ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन मंगलवार को स्वामी अंनताचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से कहा कि साधारण मानव अपने हित को लेकर भगवान से, संतों से प्रश्न किया करते है, लेकिन श्रीमद भागवत के अंदर तीन जगह पर प्रश्न किए गए है जो पूरे के पूरे प्रश्न परमार्थ को ध्यान में रखते हुए और लोक कल्याण को ध्यान में रखते हुए किए गए है।

 केवल मंगलाचरण को समझने मात्र से पर्याप्त ज्ञान की प्राप्ति प्रथम स्कंद के प्रथम अध्याय में सर्वप्रथम जो व्यास जी ने मंगलाचरण लिखा है उस मंगलाचरण की सबसे बड़ी विशेषता है कि एक ही श्लोक में हमारे प्राचीन छह दर्शन को जैसे फूल को धागा के सहारे माला में पिरो दिया जाता है, उसी तरह छह दर्शन को व्यास जी ने एक ही श्लोक में पिरो दिया है। केवल मंगलाचरण को ही व्यक्ति समझ ले तो सभी छह दर्शन का सांकेतिक रूप से पर्याप्त ज्ञान हो सकता है। श्रीमद भागवत में मुख्य रूप से जो दर्शन में जो ब्रहम जीव और माया का वर्णन है उसका निरूपण बड़े ही सूक्ष्म ढंग से किया गया है इसिलिए चाहे किसी भी दर्शन को लिया जाए जैसे शांकर दर्शन, रामानुज दर्शन माध्व दर्शन जिन्हें अद्वैत विशिष्ट अद्वैत, शुद्वा द्वैत आदि नामों से पुकारा जाता है। विस्तृत विवेचन श्रीमद भागवत महापुराण के अंतर्गत आता है। मंगलाचरण में प्रथम शब्द जन्मादश्ययता है। जो कुछ लोग समझ पाते हैं और कुछ लोग नहीं। लेकिन यह उत्तर निमाण्षा यानि ब्रहम सूत्र यानि वेदांत का दूसरा सूत्र है।

शायद इसीलिए व्यास जी ने किसी देवता का नाम नहीं लेकर मंगलाचरण में परम सत्य का ध्यान किया है। आगे दृष्टांत के रूप में सुकदेव परिक्षित संवाद में जब सुकदेव जी का वर्णन किया जाता हे तो सुकदेव जी को शुद्व ब्रहम के स्वरूप में प्रदर्शित किया जाता है और पिरिक्षत जी को जीव स्वरूप में प्रदर्शित किया जाता है। साक्षात ब्रहम स्वरूप सुकदेव जी जीव स्वरूप परिक्षित जी को ब्रहम ज्ञान का बोध करा रहे है। प्रवचन समापन के उपरांत भागवत कथा के मुख्य आयोजक सह यजमान अवधेश कुमार तिवारी ने सभी भक्तजनों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया।

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