Supaul News: सीमावर्ती इलाकों में चल रहे 50 अवैध आरा मिल, वन विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई

सुपौल के सीमावर्ती इलाकों में चल रहे 50 अवैध आरा मिल चल रहे हैं। इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को है लेकिन वे इसके बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इससे इन आरा मिल संचालकों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:40 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:40 AM (IST)
Supaul News: सीमावर्ती इलाकों में चल रहे 50 अवैध आरा मिल, वन विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई
सुपौल के सीमावर्ती इलाकों में चल रहे 50 अवैध आरा मिल चल रहे हैं।

संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल)। सीमावर्ती क्षेत्र अंतर्गत अवैध आरा मिल का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। परन्तु वन विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। गौरतलब हो कि वीरपुर अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत एक दर्जन के आसपास ही लाइसेंसी आरा मिल है। जबकि अवैध आरामिल की संख्या चार दर्जन के आसपास चल रही है। कई बार स्थानीय लोगों ने भी इसकी शिकायत वन विभाग के अधिकारी से की है, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।

क्या है अवैध आरा मिल को लेकर पूरा मामला

दरअसल 18 इंच के मिल को सरकार की ओर से फर्नीचर कारोबारियों के लिए लाइसेंस से फ्री रखा गया है। ताकि वह अपना फर्नीचर के उपयोग में आनेवाली पटरी को चीर सके। उनको व्यवसायी एवं गोलिया लकड़ी को चीरने का कोई अधिकार नहीं है। परन्तु इसी का फायदा 18 इंच के फ्री लाइसेंस वाले उठाते हैं और विभागीय मेलजोल के बदौलत लाइसेंसी आरा मिल की तरह गोलिया लकड़ी की चिराई कर मोटी कमाई कर रहे हैं।

बसंतपुर, रतनपुर, डुमरी, बायसी ,गोपालपुर, सातनपट्टी, लालमनपट्टी सहित अन्य दर्जनों जगह पर 18 इंच के फ्री मिल द्वारा अवैध रूप से लकड़ी की चिराई वन विभाग के कर्मियों एवं अधिकारी की मदद से चलाकर मोटी धन उगाही की जा रही है।

पर्यावरण के लिये बन रहा खतरा

धड़ल्ले से चल रहे आरामिल पर्यावरण के लिए भी खतरा बन रहे हैं। लोग इमारती लकड़ी जिसको काटने पर प्रतिबंध है को भी चोरी-छिपे काटकर अवैध अरामिलों पर चिरवा रहे हैं। क्योंकि लाइसेंसी आरामिल चालक बिना वाजिब कागजात के अवैध रूप से काटी गई लकड़ी की चिराई नहीं करते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

वनपाल केके झा कहते हैं कि 18 इंच की फ्री लाइसेंस की आर में चोरी-छिपे अवैध आरामिल के संचालन से इनकार तो नहीं किया जा सकता। परन्तु विभागीय मिलीभगत का आरोप निराधार है। शिकायत के आलोक में विभाग की ओर से जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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