Supaul: फसल सहायता योजना में किसान नहीं दिखा रहे रुचि, जानिए क्या है मामला

सुपौल के किसान फसल सहायता योजना का लाभ किसान नहीं ले रहे हैं। रबी सीजन में नौ हजार किसानों ने आवेदन किया। इस योजना के तहत 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को सहायता दी जाती है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 05:24 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 05:24 PM (IST)
Supaul: फसल सहायता योजना में किसान नहीं दिखा रहे रुचि, जानिए क्या है मामला
सुपौल के किसान फसल सहायता योजना का लाभ किसान नहीं ले रहे हैं।

जागरण संवाददाता, सुपौल। रबी फसल के लिए बिहार सरकार की फसल सहायता योजना का लाभ लेने में जिले के किसान रुचि नहीं ले रहे हैं, लिहाजा इस वर्ष योजना के तहत आवेदन करने वाले किसानों की रफ्तार काफी कम है उसमें भी तब जब सरकार ने फसल सहायता योजना का लाभ लेने के लिए किसानों से राशि नहीं ले रही है सिर्फ किसानों को अपना पंजीयन कराना होता है। बावजूद जिले में किसानों का रुझान इस ओर नहीं हो पा रहा है। रबी सीजन में नौ हजार किसानों ने आवेदन किया जिसमें 1338 रैयत तथा 7660 गैर रैयत तथा 217 रैयत एवं गैर रैयत किसान हैं। अब जबकि जिला प्रशासन गेहूं फसल का क्रॉप कङ्क्षटग कर उत्पादन का आकलन करना शुरू कर दिया है तो उपज कम आने पर बिना पंजीयन वाले किसान इस योजना के लाभ से वंचित रह सकते हैं।

क्या है फसल सहायता योजना

राज्य सरकार ने राष्ट्रीय फसल बीमा योजना की जगह फसल सहायता योजना की शुरुआत की। इस योजना में किसानों को कोई प्रीमियम नहीं देना होता है। क्रॉप कङ्क्षटग रिपोर्ट के आधार पर 7 वर्ष के औसत उत्पादन के 70 फ़ीसद को आधार मानकर किसानों के उत्पादन की गणना होती है। मानक से 1 फ़ीसद भी कम उत्पादन होने पर किसानों को इसका लाभ दिया जाता है। 1 से 20 फ़ीसद तक कम उत्पादन होने पर साढ़े सात हजार या उससे अधिक के लिए 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को सहायता दी जाती है।

रैयत से आगे हैं गैर रैयत

रबी मौसम में लगाई जानेवाली फसलों के लिए जिले के जिन 9215 किसानों ने इस योजना के लिए अपना पंजीयन कराया है उनमें से गेहूं फसल के लिए 9180, मक्का के लिए 2695, चना के लिए 595, मसूर के लिए 377, राई के लिए 5596, ईख के लिए 45, प्याज के लिए 205 तथा आलू के लिए 595 किसानों ने पंजीयन कराया है। सबसे दिलचस्प बात है कि रैयत से ज्यादा गैर रैयत किसान योजना के प्रति दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

जागरूक नहीं हैं किसान

फसल उगाए जाने के दौरान क्षतिपूर्ति की भरपाई को लेकर सरकार द्वारा संचालित फसल सहायता योजना जागरूकता की कमी की भेंट चढ़ गई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत लाभुकों की संख्या ढाई लाख के करीब है लेकिन फसल सहायता योजना में किसानों की संख्या इसके काफी कम है। जबकि किसान हर वर्ष प्राकृतिक आपदा के शिकार होते हैं। कभी ओलावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि या फिर सुखाड़-बाढ़ के कारण हर वर्ष यहां फसलों का नुकसान होता है। किसान बताते हैं कि जानकारी व जागरूकता के अभाव में वे लोग सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं।

प्रखंडवार पंजीकृत किसानों की संख्या

बसंतपुर 323, छातापुर 63, किशनपुर 366, मरौना 361, निर्मली 139, पिपरा 137, प्रतापगंज 10, राघोपुर 1255, सरायगढ़ भपटियाही 3500, सुपौल 3015, त्रिवेणीगंज 46।

chat bot
आपका साथी