विद्यालय में टीफ‍िन होते ही छात्रों ने मांगा खाना, नहीं मिला तो चले गए घर, दोबारा नहीं आए स्कूल

कोरोना काल के बाद पहली मार्च को स्‍कूलों में पढ़ाई शुरू हुई। जैसे ही टीफ‍िन की घंटी बजी छात्रों ने शिक्षकों से खाना मांगा। नहीं मिलने पर सभी बच्‍चे घर की ओर रवाना हो गए। फ‍िर लौट कर स्‍कूल पढ़ने बहुत कम बच्‍चे आए। हर स्‍कूलों की यहीं स्थिति रही।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 04:47 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 04:47 PM (IST)
विद्यालय में टीफ‍िन  होते ही छात्रों ने मांगा खाना, नहीं मिला तो चले गए घर, दोबारा नहीं आए स्कूल
बिना मास्‍क लगाएं जिले के हर स्‍कूलों में पहुंचे अधिकतर बच्‍चे

जागरण संवाददाता, मधेपुरा । सोमवार को जैसे ही विद्यालयों में मध्याह्न की की घंटी बजी, वैसे ही छात्रों ने टीचर से खाने की मांग की। खाना नहीं मिलने पर घर गए छात्रों में एक्का-दुक्का ही फिर वापस लौट कर आए। यह स्थिति जिला मुख्यालय के एक स्कूल का नहीं नहीं बल्कि अधिकतर विद्यालयों का था। 11 माह की लंबी अवधि के बाद सोमवार से कक्षा एक से पांच तक के सभी विद्यालय खुले। वर्ग एक से 12 तक की कक्षा विधिवत शुरू हो गई है। विद्यालय खुलने के पहले दिन छात्रों की उपस्थिति काफी कम रही। जानकारी के अनुसार पहले दिन 25 से 30 फीसदी छात्र ही विद्यालय आए। कई अभिभावक अमंजस के कारण बच्चों को विद्यालय नहीं भेज पाए। डीईओ जगतपति चौधरी ने बताया कि अब सभी कक्षा शुरू होने के बाद पठन-पाठन सुचारू रूप से चलेगी। दूसरी ओर पहले दिन कक्षा शुरू होने के बाद भी विद्यालय प्रबंधन तैयार नहीं दिखे। कई विद्यालयों में सरकारी व निजी विद्यालयों में कोविड 19 के निर्धारित गाइडलाइन का शत प्रतिशत पालन नहीं दिखा।

अधिकतर बच्चों के पास नहीं था मास्क

विद्यालय के पहले दिन छात्रों में मास्क नदारद दिखा। सरकारी विद्यालयों के 90 फीसदी बच्चे बिना मास्क के नजर आए। एक-दो किताब के साथ विद्यालय आए छात्रों के मन में विद्यालय खुलने के प्रति खुशी तो जरूर दिखी। लेकिन बिना भोजन के निराश नजर आए। शिक्षक भी कई विद्यालयों में पढ़ाने के मामले में औपचारिता ही किए। अधिक लाल मध्य विद्यालय में पढऩे आई वर्ग पांच की छात्रा रेणू ने बताया कि बिना किताब का पढऩे में मन नहीं लग रहा है।

ड्राप आउट बच्चों को स्कूल लाना है बड़ी चुनौती

ड्राप आउट 25 हजार से अधिक बच्चों को फिर से स्कूल लाना शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी। यद्यपि शिक्षा विभाग आंकड़े में आठ हजार छात्र को ही ड्राप आउट है। लेकिन जानकार बताते हैं कि ऐसे बच्चों की संख्या 25 हजार से ऊपर है जो कोविड के साथ-साथ पूर्व से ही स्कूल से गायब हैं। ऐसे बच्चों में वर्ग पांच से आठ में अधिक है।

आठ मार्च से चलेगा कैचअप अभियान

जिले के सरकारी विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन के लिए आठ मार्च से प्रवेशोत्सव अभियान शुरू किया जाएगा। यह 20 मार्च तक चलेगा। इस बाबत डीईओ जगतपति चौधरी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण गत वर्ष विद्यालय लगातार बंद रहे हैं। इस कारण से बच्चों का पठन-पाठन व उसकी पढ़ाई बाधित हुई है। उस कमी को दूर करने और बच्चों को पढ़ाई में दक्षता प्रदान करने के लिए शैक्षिक सत्र 2020-21 की सभी कक्षाओं में पूर्व की कक्षा के शैक्षिक सामग्री को छोटा कर तीन महीने का केचअप कोर्स अप्रैल 2021 के प्रथम सप्ताह से चलाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए जरूरी है कि पूर्व में नामांकित छात्रों के साथ-साथ सभी डॉप आपट बच्चों का विद्यालय में आगमन केचअप कोर्स शुरू होने से पहले हो जाए। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शैक्षणिक सत्र 2021-22 में कक्षा एक से आठ व कक्षा नौ के और नामांकित व बच्चों के नामांकन के लिए आठ मार्च से 20 मार्च की अवधि में प्रवेशोत्सव सह विशेष नामांकन अभियान चलाया जाएगा।

अभियान की सफलता के लिए कमेटी का हुआ गठन

जिला शिक्षा पदाधिकारी जगतपति चौधरी ने बताया कि इस अभियान के लिए समिति का गठन किया जाएगा। उसके सदस्य जिला शिक्षा पदाधिकारी, एसएसए व माध्यमिक के डीपीओ के अलावा आईसीडीएस व जीविका के डीपीओ में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि प्रवेशोत्सव सह विशेष नामांकन अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता होगी। इसके लिए विद्यालय स्तर पर विद्यालय शिक्षा समिति के साथ पोषक क्षेत्र के शिक्षा सेवक, तालिमी मरकज, आंगनबाड़ी सेविका व जीविका समूह का आपस में समन्वय होना आवश्यक है। इस कार्य को विद्यालय के एचएम नेतृत्व करेंगे। वहीं इसके विशेष अभियान का प्रचार प्रसार के लिए प्रभात फेरी, साइकिल रैली व जन शिक्षा के माध्यम से नाटक व गीत एवं सोशल मीडिया पर गांव व कस्बे के घरों तक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। वही 10 मार्च से विद्यालय में नामांकन कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

क्‍या कहते हैं डीपीओ एसएसए

डीपीओ एसएसए गिरिश कुमार ने कहा कि विद्यालय का पहला दिन था। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ेगी। इसके लिए हमलोग बीआरसी व सीआरसीसी स्तर की बैठक आयोजित की जाएगी।

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