ब‍िहार का पहला अत्‍याधुनिक पुल भागलपुर में बनेगा, स्टील फाइबर लगने से सौ साल से ज्यादा होगी उम्र, अक्‍टूबर से निर्माण

भागलपुर में विक्रमशिला के समानांतर पुल का निर्माण अक्‍टूबर से शुरू होगा। इसके निर्माण में स्टील फाइबर लगेंगे। इससे सौ साल से ज्यादा उम्र होगी। सौ साल से ज्यादा होगी इस पुल की उम्र। ब‍िहार का यह पहला अत्‍याधुनिक पुल है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 02:46 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 02:46 PM (IST)
ब‍िहार का पहला अत्‍याधुनिक पुल भागलपुर में बनेगा, स्टील फाइबर लगने से सौ साल से ज्यादा होगी उम्र, अक्‍टूबर से निर्माण
नई तकनीक से बनने वाले पुल के रखरखाव में होगी आसानी।

भागलपुर [संजय]। विक्रमशिला के समानांतर फोर लेन पुल का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक से होगा। पुल की उम्र सौ साल से ज्यादा हो इसलिए ब्रिज को स्टील फाइबर (रिइंफोर्सड कंक्रीट टेक्नोलॉजी) व एक्सट्रा डोज का इस्तेमाल कर बनाया जाएगा। ताकि पुल की उम्र सौ साल से ज्यादा हो। इस तकनीक से पुल की लागत भी कम होगी। उसके रखरखाव में समस्या कम होगी। इस तकनीक से बनने वाला पुल सूबे का पहला होगा। पुल की डिजाइन का काम रोडिक कंसल्टेंट को मिला। इस डिजाइन को बनाने के लिए अमेरिका की कंपनियों से सहयोग लेने की बात हो रही है।

हाल में ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने विक्रमशिला पुल के समानांतर प्रस्तावित फोरलेन पुल के निर्माण और अत्याधुनिक तकनीक की डिजाइन को लेकर बैठक की थी। बैठक में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और रोडिक कंसल्टेंट के इंजीनियर भी शामिल थे। बैठक के बाद अत्याधुनिक तकनीक की डिजाइन को बनाने में तेजी आई है।

गंगा नदी पर विक्रमशीला सेतु के समानांतर 4.367 किमी लंबे नए फोर लेन पुल को अगले चार साल में पूरा करने का लक्ष्य है। जो डिजाइन बनाया जा रहा है, उसमें 4.367 किमी लंबे सेतु के साथ नवगछिया की ओर 875 मीटर और भागलपुर की ओर 987 मीटर पहुंच पथ भी शामिल है।

सेतु के पूरा होने के बाद, भागलपुर शहर में यातायात सुगम हो जाएगा और वाहन झारखंड से प्रवेश कर सकेंगे। इस नए फोरलेन सेतु के बनने से नवगछिया से भागलपुर होते हुए झारखंड की सीमा तक पहुंच आसान हो जाएगा। यह सेतु बिहार और झारखंड के बीच यातायात को और सुविधाजनक बनाएगा। इस सेतु के बन जाने से कोसी-सीमांचल और पूर्व बिहार के जिलों को लाभ मिलेगा। यही नहीं पश्चिम के जिलों और अन्य सेतुओं का बोझ भी काफी कम होगा। राज्य के सीमांचल का झारखंड के साथ सड़क संपर्क तो सुगम होगा ही, पश्चिम बंगाल के साथ भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी तथा पूर्वोत्तर के लिए एक नया वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध होगा।

रोडिक कंसल्टेंट के निदेशक मनोज कुमार ने कहा, इस परियोजना के लिए भारत में नई तकनीक को लेकर बहुत उत्साहित हैं। यह सेतु कार्गो और अन्य जरूरी सामानों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा। यह योजनाबद्ध विकास सुनिश्चित करने, रोजगार के अवसर पैदा करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर कई गुणा प्रभाव डालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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