कुल्हा का चकरी फैक्चर होने पर बिना बदले होगा ऑपरेशन, 31 जनवरी को डॉक्टरों को दी जाएगी इसकी जानकारी
अब कुल्हा का चकरी फैक्चर हो जाए तो ज्यादा परेशानी नहीं उठानी होगी। बिना ऑपरेशान से बदला जा सकता है। इस नई तकनीक की जानकारी डॉक्टरों को बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन के सम्मेलन में दी जाएगी। इसका आयोजन 31 जनवरी को होगा।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। कुल्हा का चकरी फैक्चर होने पर उसे बिना बदले ही ऑपरेशन कर जोड़ा जाएगा। इस नई चिकित्सकीय विधि की जानकारी 31 जनवरी को आयोजित बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन के सम्मेलन में दी जाएगी। सम्मेलन दो वर्ष बाद आयोजित किया गया है। यह जानकारी बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने दी।
दिल्ली और कोलकता के डॉक्टर होंगे सम्मेलन में शामिल
उन्होंने कहा कि सम्मेलन में दिल्ली और कोलकाता के डॉ. एनके मांगू और राजीव रमन भी शामिल होंगे। इग्लैंड के डॉ. राकेश कुमार चौधरी ऑन लाइन जानकारी देंगे। सम्मेलन सितंबर में होना था लेकिन कोरोना की वजह से नहीं हो पाया। कोरोनाकाल के बाद पहली बार सम्मेलन भागलपुर में किया जा रहा है। सम्मेलन के ऑगेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. अमर कुमार ने कहा कि सम्मेलन के वैज्ञानिक सत्र में डॉ. मांगू बिना कुल्हा का चकरी बदले ऑपरेशन करने की जानकारी देंगे।
बीस साल बाद आती है इसे बदलने की नौबत
उन्होंने कहा कि 60 वर्ष उम्र के पहले गिरने या चोट लगने से अगर चकरी फैक्चर होती है तो कृत्रिम चकरी लगायी जाती है, जो 20 वर्ष के बाद फिर बदलने की नौबत आती है। फिर भी वह ऑरिजनल चकरी की तरह नहीं हो सकता। साथ ही बिना चीड़-फाड़ के दूरबीन के सहारे घुटने के ऑपरेशन करने की भी जानकारी मिलेगी। वैज्ञानिक सत्र के चेयरमैन डॉ. सोमेन चटर्जी ने कहा कि सम्मेलन में एक सौ चिकित्सकों के शामिल होने की संभावना है। इस अवसर पर स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. बिहारी लाल भी उपस्थित थे।
सम्मेलन को लेकर लगभग तैयारी पूरी
31 जनवरी को होने वाले बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन के सम्मेलन की तैयारी में संघ से जुड़े डॉक्टर अभी से लग गए हैं। इस सम्मेलन में दिल्ली, कोलकता सहित अन्य प्रदेशों से भी वरीय चिकित्सक भाग लेंगे। इसमें कई नई तकनीक की जानकारी दी जाएगी।