ढाई दशक बाद भी नहीं बन सका स्टेडियम, इस तरह खेल का अभ्यास कर रहे खिलाड़ी

सुपौल में ढाई साल बाद भी स्टेडियम का निर्माण नहीं हो सका है। ऐसे में अनुमंडल में खेल गतिविधियां शून्य पड़ गई है और खिलाडिय़ों के भविष्य पर ग्रहण लग गया है। स्टेडियम के अभाव में खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 02:38 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 02:38 PM (IST)
ढाई दशक बाद भी नहीं बन सका स्टेडियम, इस तरह खेल का अभ्यास कर रहे खिलाड़ी
सुपौल में ढाई साल बाद भी स्टेडियम का निर्माण नहीं हो सका है।

 जागरण संवाददाता, सुपौल। त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र में खेल प्रतिभा की कमी नही है। हर क्षेत्र में खिलाडिय़ों की लंबी कतार है। लेकिन अभ्यास के लिए स्टेडियम जैसी व्यवस्था नहीं है। अनुमंडल बनने के ढाई दशक बाद भी त्रिवेणीगंज में स्टेडियम का निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसे में अनुमंडल में खेल गतिविधियां शून्य पड़ गई है और खिलाडिय़ों के भविष्य पर ग्रहण लग गया है। अनुमंडल मुख्यालय में स्टेडियम के नाम पर एएलवाई कॉलेज समेत कई हाईस्कूल का मैदान उपलब्ध है। खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए एएलवाई कॉलेज, साइंस कॉलेज, जेनरल हाईस्कूल मैदान या आरकेबीए हाईस्कूल मैदान पर जाते हैं। स्टेडियम के अभाव में खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।

क्या कहते हैं खेलप्रेमी

रवि कुमार कहते हैं त्रिवेणीगंज में खेल स्टेडियम नहीं रहने के कारण प्रतिभावान खिलाड़ी सही तरीके से खेल का अभ्यास नहीं कर पाते हैं। उनकी खेल के प्रति रुचि कम हो रही है। यह खेल के लिए अच्छा नहीं है। निरंजन वर्मा कहते हैं कि स्टेडियम नहीं रहने से बेहतर खेल प्रतियोगिता कराने में भी खिलाड़ी सफल नहीं हो पाते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को खिलाडिय़ों की समस्याओं को दूर करना चाहिए।

तरुण ङ्क्षसह राठौर बताते हैं कि प्रखंड के युवाओं में खेल से काफी लगाव है। यहां खेल प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन यहां एक भी स्टेडियम नहीं है। राज्य सरकार ने प्रखंड स्तर पर खेल स्टेडियम बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन इससे लाभ नहीं हुआ।

लंबे समय से स्टेडियम बनाने की हो रही मांग

त्रिवेणीगंज में लंबे समय से स्टेडियम बनाने की मांग की जा रही है। दरअसल, यहां के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर दमखम दिखा चुके हैं। इसके बाद भी यहां पर अब तक खेल के विकास के लिए सार्थक कदम नहीं उठाया जा सका है। लोगों ने बताया कि यहां के जनप्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। लोगों ने इस मुद्दे के कई बार उठाया है।  

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