Srijan scam : कल्याण और स्वास्थ्य की नहीं लौटी राशि, बैंक को 30 दिनों के अंदर रुपये वापस करने का दिया था आदेश

सृजन घोटाला मामले में नीलामपत्र वाद पदाधिकारी ने डीआरडीए को 30 दिनों के अंदर राशि लौटाने का आदेश दिया है। इस आदेश का बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक द्वारा कितना पालन किया जाता है यह तो वक्त ही बताएगा।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 11:15 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 11:15 AM (IST)
Srijan scam : कल्याण और स्वास्थ्य की नहीं लौटी राशि, बैंक को 30 दिनों के अंदर रुपये वापस करने का दिया था आदेश
बैंक को 30 दिन के अंदर पैसा लौटाने का आदेश।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सृजन घोटाला मामले में नीलामपत्र वाद पदाधिकारी ने पिछले वर्ष बैंकों को 30 दिनों के अंदर राशि लौटाने का आदेश दिया था। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी बैंकों ने न तो राशि लौटाया और न ही कोई जवाब दिया। अब एक बार फिर नीलामपत्र वाद पदाधिकारी ने डीआरडीए को 30 दिनों के अंदर राशि लौटाने का आदेश दिया है। इस आदेश का बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक द्वारा कितना पालन किया जाता है, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि जो हाल पिछले वर्ष दिए गए आदेश का हुआ था, वही हाल इस आदेश का भी होने वाला है।

राशि वसूली के लिए डीआरडीए निदेशक प्रमोद कुमार पांडेय ने इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विरुद्ध दो अलग-अलग नीलामपत्र वाद जून 2020 में दायर किया गया था। एक दर्जन से अधिक दिन सुनवाई हुई। दोनों ओर से अपना-अपना पक्ष रखा गया। अंत में फैसला सुनाते हुए नीलामपत्र वाद पदाधिकारी सुनील कुमार (डीडीसी) ने बैंक ऑफ बड़ौदा को 40 करोड़ 18 लाख 99 हजार 737 रुपये व इंडियन बैंक को 49 करोड़ 64 लाख नौ हजार 674 रुपये डीआरडीए को वापस करने का आदेश दिया है। इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को 30 दिनों के अंदर 89 करोड़ 83 लाख नौ हजार 411 रुपये लौटाने को कहा है। बैंकों ने डीआरडीए की राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति में ट्रांसफर कर दिया था।

बैंकों पर नहीं हो रही कार्रवाई

स्वास्थ्य और कल्याण विभाग के बैंक खातों से राशि की हेराफेरी कर सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में भेज दिया गया। मामले को लेकर कल्याण विभाग और स्वास्थ्य ने 2019 में सॢटफिकेट केस दायर किया था। केस की सुनवाई कर रहे डीडीसी सुनील कुमार ने पिछले वर्ष फरवरी में फैसला सुनाते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वे 30 दिनों के अंदर दोनों विभागों को 221 करोड़ रुपये वापस करें। साथ ही संबंधित दस्तावेज 24 मार्च को अगली सुनवाई के दौरान जमा करें। लेकिन 30 दिनों की बात तो दूर एक साल बाद भी बैंकों ने दोनों विभाग को राशि वापस नहीं किया। एक साल बाद भी न तो बैंकों पर वारंट निर्गत हुआ है और न ही कोई कार्रवाई की जा रही है।

तीन बैंकों के विरुद्ध हुए थे केस

कल्याण विभाग के खाते से राशि की अवैध निकासी को लेकर जिला कल्याण पदाधिकारी ने 29 जुलाई 2019 को नीलाम पत्र शाखा में कागजात जमा किए थे। 30 सितंबर 2019 को सॢटफिकेट केस दर्ज हुआ था। बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया की दो शाखाओं को आरोपित बनाया गया था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन ने बैंक ऑफ बड़ौदा पर 44 लाख 83 हजार रुपये की अवैध निकासी की वसूली के लिए सॢटफिकेट केस दायर किया था। यह केस 11 नवंबर 2017 को दायर किया गया था।

नीलामपत्र वाद पदाधिकारी को भेजा कई पत्र

बैंकों द्वारा राशि नहीं लौटाने को लेकर कल्याण विभाग ने नीलामपत्र वाद पदाधिकारी (डीडीसी) सुनील कुमार को कई बार पत्र भेज चुका है। जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा भेजे पत्र में कहा गया है कि नीलामपत्र वाद में फैसला आने के बाद भी बैंकों द्वारा राशि नहीं दी जा रही है। साथ ही जिला कल्याण पदाधिकारी ने आगे की कार्रवाई के लिए डीडीसी दिशा-निर्देश भी मांगा है। लेकिन पत्र का जवाब विभाग को नहीं मिल रहा है।

इन बैंकों को वापस करनी है रकम

-बैंक ऑफ बड़ौदा : 189 करोड 28 लाख, 87 हजार 357 रुपये

-इंडियन बैंक : 10 करोड़ 60 लाख 58 हजार 400 रुपये

-बैंक ऑफ इंडिया : 6 करोड़ 91 लाख 33 हजार 712 रुपये

-बैंक ऑफ इंडिया सबौर : 14 करोड़ 79 लाख 99 हजार 600 रुपये

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