सृजन घोटाला भागलपुर: हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन, रोक दें सुनवाई

Srijan Scam Bhagalpur News Updates बैंकों ने नीलामपत्र वाद पदाधिकारी को दिया आवेदन सुनवाई नौ सितंबर को। कल्याण व स्वास्थ्य विभाग को रुपये नहीं लौटाने पर फिर शुरू हुई सुनवाई। सुनवाई के दौरान बैंक के वकील ने आवेदन दिया कि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है सुनवाई रोक दें।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:24 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 09:24 AM (IST)
सृजन घोटाला भागलपुर: हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन, रोक दें सुनवाई
भागलपुर में सृजन घोटाले की जांच हो रही है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सृजन घोटाला मामले में नीलामपत्र वाद पदाधिकारी ने कल्याण विभाग व स्वास्थ्य विभाग को राशि वापस करने को लेकर मंगलवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान बैंक आफ बड़ौदा, इंडियन बैंक के वकील ने आवेदन दिया कि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए सुनवाई रोक दी जाए। इस मामले में नीलामपत्र वाद पदाधिकारी का कहना था कि कोर्ट से इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुआ है, इसलिए सुनवाई जारी रहेगी। उन्होंने सुनवाई की अगली तारीख तीन सितंबर तय कर दी है। सुनवाई के दौरान बैंक अधिकारियों को बुलाया गया है।

पिछले वर्ष नीलामपत्र वाद पदाधिकारी ने फैसला सुनाते हुए बैंकों को 30 दिनों के अंदर स्वास्थ्य व कल्याण विभाग को राशि लौटाने का आदेश दिया था। लेकिन डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी बैंकों ने न तो राशि लौटाया और न ही कोई जवाब दिया। नीलामपत्र वाद पदाधिकारी ने बैंकों को दोनों विभागों को राशि लौटाने के लिए पत्र भेजा है। साथ ही अगली कार्रवाई को लेकर सुनवाई शुरू की है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान बैंक के वकील ने हाई कोर्ट में मामला रहने के कारण सुनवाई नहीं करने की अपील की। नीलामपत्र वाद पदाधिकारी के फैसले के खिलाफ बैंक 30 मई 2005 को हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है।

बैंकों पर नहीं हो रही कार्रवाई

स्वास्थ्य और कल्याण विभाग के बैंक खातों से राशि की हेराफेरी कर सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में भेज दिया गया। मामले को लेकर कल्याण विभाग और स्वास्थ्य ने 2019 में सॢटफिकेट केस दायर किया था। केस की सुनवाई कर रहे डीडीसी सुनील कुमार ने पिछले वर्ष फरवरी में फैसला सुनाते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वे 30 दिनों के अंदर दोनों विभागों को 221 करोड़ रुपये वापस करें। साथ ही संबंधित दस्तावेज 24 मार्च को अगली सुनवाई के दौरान जमा करें। लेकिन 30 दिनों की बात तो दूर डेढ़ साल बाद भी बैंकों ने दोनों विभाग को राशि वापस नहीं की।

तीन बैंकों के विरुद्ध हुए थे केस

कल्याण विभाग के खाते से राशि की अवैध निकासी को लेकर जिला कल्याण पदाधिकारी ने 29 जुलाई 2019 को नीलाम पत्र शाखा में कागजात जमा किए थे। 30 सितंबर 2019 को सॢटफिकेट केस दर्ज हुआ था। बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया की दो शाखाओं को आरोपित बनाया गया था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन ने बैंक ऑफ बड़ौदा पर 44 लाख 83 हजार रुपये की अवैध निकासी की वसूली के लिए सॢटफिकेट केस दायर किया था। यह केस 11 नवंबर 2017 को दायर किया गया था।

इन बैंकों को वापस करनी है रकम -बैंक ऑफ बड़ौदा : 189 करोड 28 लाख, 87 हजार 357 रुपये -इंडियन बैंक : 10 करोड़ 60 लाख 58 हजार 400 रुपये -बैंक ऑफ इंडिया : 6 करोड़ 91 लाख 33 हजार 712 रुपये -बैंक ऑफ इंडिया सबौर : 14 करोड़ 79 लाख 99 हजार 600 रुपये

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