सृजन घोटाला भागलपुर: डीआरडीए से जारी चेक की जानकारी स्टेट बैंक से मांगेगा विभाग

सृजन घोटाला मामले में डीआरडीए के पूर्व क्लर्क से संबंधित मामले की सुनवाई एडीएम अरुण कुमार सिंह के यहां हुई। बैंक आफ बड़ौदा का कहना है कि वहां चेक जमा नहीं हुआ है। बैंक ने उनके यहां चेक जमा होने से इन्कार किया था।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 11:58 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 11:58 AM (IST)
सृजन घोटाला भागलपुर: डीआरडीए से जारी चेक की जानकारी स्टेट बैंक से मांगेगा विभाग
अब विभाग स्टेट बैंक से चेक की जानकारी लेगा। स्टेट बैंक से पूछा जाएगा कि चेक कहां क्रेडिट हुआ है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सृजन घोटाला मामले में डीआरडीए के पूर्व क्लर्क अरुण कुमार से संबंधित मामले की सुनवाई शनिवार को एडीएम (विभागीय जांच) अरुण कुमार सिंह के यहां हुई। इस दौरान बताया गया कि बैंक आफ बड़ौदा का कहना है कि वहां चेक जमा नहीं हुआ है। अब विभाग स्टेट बैंक से चेक की जानकारी लेगा। स्टेट बैंक से पूछा जाएगा कि चेक कहां क्रेडिट हुआ है।

अरुण कुमार ने पिछली सुनवाई में स्वीकार किया था कि हमारे समय में तीन चेक कटा था। चेक कहां जमा हुआ, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। डीआरडीए में 80 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। विभाग से 18 चेक कटा था। इस चेक की राशि उप विकास आयुक्त के खाते में जमा होनी थी, लेकिन राशि सृजन महिला सहयोग विकास समिति के खाते में जमा करा दी गई थी। इधर, अरुण कुमार का कहना था कि उनके समय में तीन ही चेक कटा है। इस मामले में बैंकों के अधिकारियों को बुलाया गया था। बैंक आफ बड़ौदा ने उनके यहां चेक जमा होने से इन्कार किया था।

बैंक द्वारा सील मकान पर कब्जा किया, प्राथमिकी दर्ज

यूनियन बैंक आफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य प्रबंधक प्रेमेंद्र कुमार सिंह ने बबरगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज किया है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि निरंजन कुमार सिंह, पूनम देवी, बेबी कुमारी, अमरजीत कुमार द्वारा बैंक की परिसंपत्ति पर बिना किसी न्यायालय के आदेश के मकान पर कब्जा जमाया है। निरंजन कुमार सिंह द्वारा बैंक में ऋण लेले के लिए संपत्ति बंधक रखी थी। किस्त जमा नहीं होने कारण खाता को आरबीआइके निर्देश पर गैर निस्पादित घोषित कर दी गई। जिलाधिकारी के आदेश पर बैंक द्वारा संपत्ति पर कब्जा किया गया। पंचनामा पर पूनम देवी और निरंजन कुमार सिंह ने हस्ताक्षर भी किए। लेकिन कुछ दिन गुजरने के बाद परिवार के सदस्यों द्वारा मकान का ताला तोड़कर कब्जा कर लिया गया। कोविड की वजह से बैंक ने मकान खाली करवाने का प्रयास नहीं किया।

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