विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: अंधेरी आंखों में उजालों के सपने, कई दृष्टिबाधित बच्चे कर रहे पढ़ाई, सरकारी नौकरी का लक्ष्य

विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष कई दृष्टिबाधित बच्चे कर रहे पढ़ाई भविष्य में सरकारी नौकरी लेने का लक्ष्य। सरकार के समावेशी शिक्षा कार्यक्रम से मिल रही मदद। भागलपुर जिले में ऐसे 80 दृष्टिबाधित बच्चों का नामांकन विभिन्न विद्यालयों में कराया गया है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 11:30 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 11:30 PM (IST)
विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: अंधेरी आंखों में उजालों के सपने, कई दृष्टिबाधित बच्चे कर रहे पढ़ाई, सरकारी नौकरी का लक्ष्य
विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: दृष्टिबाधित बच्चों की पढ़ाई।

भागलपुर [प्रशांत]। रंगरा चौक की किरण (काल्पनिक नाम) की कहानी सिस्टम पर सवाल खड़े करती है, तो चुनौतियों पर जीत के बदलाव का सुखद एहसास भी। 10 वर्ष पूर्व खेलने के दौरान किरण की आंखों में कुछ पड़ गया। आंखें लाल हो गईं। भागलपुर में चिकित्सक से दिखाया। किरण बताती हैं कि लाली हटाने के चक्कर में डाक्टर ने ऐसी दवाएं दी, जिनसे उनकी आंखों की रोशनी जाने लगी। पिता ने चिकित्सक को लीगल नोटिस भेजा, तो उसे पटना रेफर कर दिया गया। पटना से फिर चेन्नई। इसके बाद भी आंखों की रोशनी नहीं लौटी। एक आंख से तो साफ दिखाई देना बंद हो गया, तो दूसरी आंखों से भी चीजें धुंधली दिखाई देती थीं। डाक्टरों ने पढऩे-लिखने से मना कर दिया। ऐसा लगा कि जिंदगी ठहर गई। पास के सरकारी स्कूल में नामांकन कराया। सरकार के समावेशी शिक्षा कार्यक्रम से सहारा मिला। मैं सुन कर पढ़ती और पाठ को याद करती थी। बाद में साइट सेवर संस्था की ओर से फोन और लैपटाप दिया गया। इससे जिंदगी ही बदल गई। फोन पर पाठ्यक्रम का आडियो सुन कर अब आसानी से पढ़ाई कर पाती हूं। अब किसी को यह नहीं कहना पड़ता है कि मेरे पास बैठो। मुझे किताबें पढ़ कर सुनाओ। किरण दसवीं की छात्रा हैं और परीक्षा में बेहतर परिणाम भी लाती हैं। किरण के पिता भी बिटिया के प्रदर्शन से गदगद हैं।

भागलपुर जिले में ऐसे 80 दृष्टिबाधित बच्चों का नामांकन विभिन्न विद्यालयों में कराया गया है। सरकार के समग्र शिक्षा अभियान के समावेशी शिक्षा कार्यक्रम ने ऐसे बच्चों की जिदंगी बदल दी। इस कार्य में अंतरराष्ट्रीय संस्था साइट सेर्वस अहम भूमिका निभा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत संस्था भागलपुर और जहानाबाद में दृष्टिबाधित बच्चों को सहयोग किया जा रहा है।

कबीर (काल्पनिक नाम) वर्ग दस का छात्र हैं। कबीर भी दृष्टिबाधित है। कबीर मोबाइल पर रिकार्डिंग सुन कर पढ़ाई करता है। कबीर ने कहा कि फोन पर ई-बुक उपलब्ध है। अब पढ़ाई करना आसान हो गया है। पहले यह लगता था कि मैं कभी पढ़ाई नहीं कर पाऊंगा। किसी दूसरे की खुशमद करता था कि पाठ बोल कर सुना दो। एक-दो बार सुनने के बाद ही पाठ याद हो पाता था। कबीर को भी मोबाइल फोन उपलब्ध कराया गया है।

रवि (काल्पनिक नाम) पूर्ण दृष्टिबाधित बालक है। शिक्षक द्वारा रवि के माता-पिता को परामर्श दिया गया कि वे रवि का नामांकन पास के सरकारी विद्यालय में करवा दें। स्कूल में कार्यक्रम के तहत उसे ब्रेल लिपि कर प्रशिक्षण दिया गया। अब वह बेहतर तरीके से पढ़ाई कर लेता है। डिवाइस में बिहार पाठ्यक्रम आधारित पाठ्य पुस्तक को रिकार्ड करके डाला गया है। इसका उपयोग कर रवि किताबों को सुन कर पढ़ाई करता है। इसी वर्ष बारहवीं की परीक्षा उसने प्रथम श्रेणी से पास की है। रवि बैंक में नौकरी करना चाहता है।

संगीता (काल्पनिक नाम) अल्प दृष्टि बाधित हैं। संगीता के माता-पिता काफी गरीब हैं। वे उसका बेहतर उपचार भी नहीं करा पा रहे थे। संगीता हमेशा अपनी हाथों से आंख मिचलाती थी। साइट सेवर्स के सदस्यों ने संगीता का नाम कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में करवा दिया। जरूरत के हिसाब से चश्मा मिला। संगीता को लैपटाप उपलब्ध कराया गया व इसे चलाने का प्रशिक्षण भी। ऐसे कई नाम हैं, जो इतनी बड़ी परेशानी को भी पीछे छोडऩे की जिद ठाने हुए हैं।

अभी तक जिले में 80 दृष्टिबाधित बच्चों का विद्यालय में नामांकन करवाकर प्रशिक्षण दिया गया है। इस वर्ष ऐसे चार बच्चों ने मैट्रिक और बारहवीं की परीक्षा पास की है। अभी तक दिव्यांग बच्चों के बीच आठ लैपटाप, 80 मोबाइल फोन, 35 टैब, 35 डेजी प्लेयर व 100 ब्रेल किट वितरित किए गए हैं। - राजन कुमार सिंह, जिला समन्वयक, साइट सेवर्स, भागलपुर

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