भारत-नेपाल सीमा से हो रही चमड़े की तस्करी, अररिया के पास लगातार पकड़ी जा रही खेप
भारत-नेपाल सीमा से चमड़े की तस्करी हो रही है। अररिया के पास लगातार तस्कर पकड़े जा रहे हैं। इसके बाद भी तस्करी का खेल जारी है। दो दिन पहले भी बड़ी खेप जब्त की गई हैै। इसकी कीमत लाखों में आकी जा रही है।
संसू सिकटी, (अररिया)। भारत-नेपाल की खुली सीमा तस्करों के लिए सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। सोनामनी गोदाम क्षेत्र से आमबारी तक दोनों देश के तस्कर हर छोटी-बड़ी खेप को अपने गंतव्य तक पहुंचाने की फिराक में हमेशा तैयार रहते हैं। खुली सीमा होने के कारण चमड़े की तस्करी भी वर्षों से हो रही है। समय-समय पर भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी जवान व पुलिस की कार्रवाई में इनके मंसूबों पर पानी फिरता रहा है। बीते शनिवार की सुबह एसएसबी 52वीं बटालियन कुआड़ी कंपनी के जवानों ने स्तंभ संख्या 167 के तीन किमी अंदर भारतीय क्षेत्र में कुर्साकांटा से नेपाल जा रहे आटो से मवेशी के चमड़े को जब्त किया।
पहले जब्त हुई चमड़े की खेप
मई 2018 में लैलौखर कैंप के जवानों ने कपरफोरा और मेहंदीपुर के बीच 10 लाख का चमड़ा पकड़ा था।
वर्ष 2014 में एसएसबी ने तस्करी के लिए ट्रैक्टर टेलर से नेपाल ले जाए जा रहे 25 बोरी चमड़ा बरामद की थी।
वर्ष 2012 में एसएसबी जवानों ने कुआड़ी से पश्चिम भलुआ नदी के किनारे छह साइकिल पर 12 बोरी चमड़ा जब्त की था।
वर्ष 2010 में कुआड़ी मुख्य चौक पर तत्कालीन डीएसपी ने दो टेलर चमड़ा पकड़ा था।
मुख्य सरगना गिरफ्त से बाहर
भारत नेपाल की खुली सीमा तस्करी में एसएसबी व पुलिस तस्कर को गिरफ्तार करती है। लेकिन एक बार भी मुख्य सरगना पुलिस गिरफ्त में नहीं आ सका। यदि आया भी तो चमड़े की तस्करी में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर। दर्जनों मजदूर इस मामले में जेल की हवा खा चुके हैं।
चमड़े के धंधे में काफी फायदा
सूत्रों की माने तो तस्कर पुलिस और एसएसबी की आंखों में धूल झोंककर किशनगंज सहित अन्य शहरों से सीमावर्ती क्षेत्र में लाकर इक_ा करते हैं। फिर इसे साइकिल ट्रैक्टर व अन्य साधनों से नेपाल व चीन भेजा जाता है। जिनसे इन्हें मोटी कमाई
क्या कहते हैं अधिकारी
चमड़ा तस्करी पर अनुसंधान के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल तस्करी पर लगाम के लिए जवान सीमा पर पूरी मुस्तैदी के साथ डटे हैं।
ब्रजेश कुमार,एसएसबी 52वीं बटालियन, द्वितीय सेनानायक