बुनकरों के बहुरेंगे दिन, खुलेंगे रोजगार के द्वार
भागलपुर। स्पन सिल्क मिल परिसर को स्मार्ट सिल्क सिटी हैंडलूम पार्क के रूप में विकसित किया जाएग
भागलपुर। स्पन सिल्क मिल परिसर को स्मार्ट सिल्क सिटी हैंडलूम पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। गुरुवार को पटना से उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सिल्क सिटी का शिलान्यास किया।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बंद पड़ी सिल्क मिल के उत्थान का बीड़ा ओआइएक्स गोवटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उठाया है। सरकार भी कंपनी को हर संभव मदद करेगी। यहां कपड़ा उत्पादन होने से एक बार फिर भागलपुर की सिल्क नगरी अपनी पहचान बनाएगी।
सुशील मोदी ने कहा कि पूर्व में भागलपुर का सांसद रहते हुए वह बुनकरों के उत्थान को लेकर पहल करते आ रहे हैं। राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसी) ने सिल्क मिल परिसर को 30 वर्ष के लिए पटना की ओआइएक्स गोवटेक प्राइवेट लिमिटेड को लीज पर दिया है। इसके तहत प्रशिक्षण से लेकर कपड़ा उत्पादन होगा। यहां स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। सरकार ने बुनकरों की योजना में अनुदान की व्यवस्था की है, ताकि बुनकर समृद्ध हो सकें। इससे भागलपुर का सिल्क देश व विदेश में बड़े बाजारों में अपनी खास पहचान बनाएगा।
बुनकरों के कपड़े की होगी खरीदारी
इस अवसर पर कंपनी के डायरेक्टर शेखर केसरी, संगीता केसरी व संस्थापक संतोष कुमार सिन्हा ने कहा कि बनुकरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कच्चा माल साल भर उपलब्ध कराया जाएगा। बुनकरों द्वारा तैयार कपड़े को कंपनी यहीं खरीदेगी। सिल्क सिटी में जापानी टेक्नोलॉजी के संसाधन लगाए जाएंगे। स्मार्ट संसाधन के माध्यम से बड़ी-बड़ी टैक्सटाइल कंपनियों को हुनरमंद बुनकर टक्कर देंगे। वर्ष 2021 में यहां पावरलूम व हस्तकरघा निर्मित कपड़ों के उत्पादन के साथ बिक्री भी होगी। कपड़ों की रंगाई, डाइंग से लेकर प्रिंटिंग आदि कार्यो के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे। फैक्ट्री में बुनकरों सहित चार हजार लोगों को रोजगार मिलेंगे।
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बकाया भुगतान को लेकर कर्मियों ने किया प्रदर्शन
बिहार स्पन सिल्क मिल के कर्मियों ने स्मार्ट सिल्क सिटी के शिलान्यास का विरोध किया। प्रवेश द्वार के बाहर कर्मियों ने बकाया राशि के भुगतान की मांग के लिए प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। कुछ देर बाद जीरोमाइल पुलिस ने प्रदर्शनकारियोंको हटाया। इस दौरान सिल्क मिल एसोसिएशन के प्रधान सचिव राजेश यादव ने बताया कि मिल बंद होने के बाद वेतन के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। 2003 में कोर्ट के आदेश पर 1997 तक का भुगतान हुआ। इसके बाद लंबित है। अब यहां काम करने वाले 372 लोगों की जीविका का साधन भी समाप्त हो गया। वेतन के अभाव में 175 कर्मियों की मौत हो गई। जब तक वेतन नहीं मिलता तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
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मास्क तैयार करने से हुई शुरुआत
पहले चरण में सिलाई मशीन पर मास्क तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही रेडीमेड गारमेंट भी तैयार किए जाएंगे। इससे 15 ट्रेलर मास्टर (दर्जी) व सिलाई करने वाली महिलाओं को रोजगार मिला है। प्रबंधक विजय कुमार सिंह ने बताया कि यहां रेशम के वस्त्रों से संबंधित अनुसंधान और विकास, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र, सामान्य सुविधा केंद्र, कोकुन बैंक, रिटेल मार्केट व धागा भंडारण की व्यवस्था होगी।