विदेशी बाजार से मिला 500 करोड़ रुपये का आर्डर, भागलपुर का खिल उठा सिल्क व्यवसाय
त्योहार को लेकर खिल उठा सिल्क व्यवसाय। इस बार विदेशी बाजार से मिला है 500 करोड़ रुपये का आर्डर। छह दशकों से विदेश में की जा रही है कपड़ों की आपूर्ति। भागलपुर जिले के 25 हजार से अधिक बुनकरों को इससे लाभ हो रहा है।
भागलपुर [जितेंद्र]। रेशमी शहर के हैंडलूम बुनकरों ने विदेशी बाजार में भी अपनी धमक बरकरार रखी है। पिछले छह दशकों से यहां तैयार कपड़ों की आपूर्ति विदेश में जारी है। वहां के बाजार में हथकरघा व पावरलूम पर निर्मित रेशमी कपड़ों को खूब पसंद किया जाता है।
भागलपुर जिले के 25 हजार से अधिक बुनकर भी इसका फायदा उठा रहे हैं। दरअसल, लाकडाउन में रेशमी शहर में कपड़ा उद्योग आर्थिक तंगी का दंश झेल रहा था। त्योहार को लेकर पिछले दो माह में सिल्क कारोबार गुलजार हुआ। देश में विभिन्न राज्यों से दुर्गा पूजा व दीवाली को लेकर करीब 200 करोड़ रुपये का आर्डर मिला है। अन्य देशों से भी करीब इस बार 500 करोड़ रुपये के कपड़ों का आर्डर दिया गया है। इससे बुनकरों को काम भी मिल रहा है।
एक्सपोर्टर जियाउर रहमान की मानें तो लाकडाउन की काली छाया हटने के बाद बाजार खुला है। बुनकरों को रोजगार मिलने से उम्मीद जगी है। पिछले दो माह में करीब 20 करोड़ का आर्डर विभिन्न एक्सपोर्टरों के माध्यम से पूरा किया गया है। बाजार का फायदा एक्सपोर्टर उठाने को तैयार हैं। बुनकर भी उत्साहित हैं, और आर्डर पूरा करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के आधार पर वित्तीय वर्ष 2019-20 में बिहार से निर्यात का लक्ष्य 86 मिट्रीक टन था। तब 56 एमटी कपड़ों का निर्यात किया गया था। उसके मुकाबले 2021 के वित्तीय वर्ष के लिए 58 एमटी का लक्ष्य था। दिसंबर, 2020 तक उपलब्धि शून्य रही।
विदेश में किया गया सिल्क का एक्सपोर्ट कपड़े का नाम : 2019-20 : 2020 -21 सिल्क यार्न : 16.77 : 5.75 सिल्क फेबरिक : 982.91 : 326.24 रेडिमेड गारमेंट : 504.23 : 454.22 सिल्क कारपेट : 143.43 : 131.96 सिल्क वेस्ट : 98.31 : 112.30 कुल : 1745.65 करेाड़ :1030.87 करोड़
डिमांड में हैं ये कपड़े : रेशम के धागे से तैयार कपड़ों की दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, जापान, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा व इंग्लैंड आदि देशों में काफी मांग है। वाल फर्निशिंग से लेकर सोफा कवर तक में विदेश में इनका इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न ड्रेस मैटेरियल्स में तो इनकी प्रसिद्धि जगजाहिर है। मटका सिल्क, तसर, न्वाइल, घिच्चा, केला रेशम, सूती व लिलेन धागों के साथ बिस्कोस का इस्तेमाल इन कपड़ों को बनाने में होता है। ये कपड़े फैशनेबल होने के साथ-साथ शरीर को भी आराम पहुंचाते हैं। इससे बने साड़ी, दुपट्टे, स्टाल, स्कर्ट आदि विदेश में डिमांड में हैं।