Shravani Mela 2020 : कृष्णा बम का 38 वर्षों से चला आ रहा रिकॉर्ड टूटा, अबकी सावन देवघर में बाबा पर नहीं की जलाभिषेक
श्रावणी मेला 2020 कोरोना काल में इस बार श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हुआ। इस कारण सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले कृष्णा बम अबकी बाबा के दर्शन नहीं कर पाई।
भागलपुर [संजय कुमार सिंह]। लगातार 38 वर्षों से सावन के हर सोमवार को पैदल सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले कृष्णा बम अबकी बाबा के दर्शन नहीं कर पाई। अफसोस है उन्हें कि इस बार बाबा भोले शंकर ने दर्शन की अनुमति नहीं दी। इस बार उन्होंने घर में शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। हालांकि कोरोना को देखते हुए झारखंड सरकार ने देवघर मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दिया है। वैसे, श्रावणी मेले में लोगों को कृष्णा बम का बेसब्री से इंतजार रहता है। उन्हें लोग माता बम भी कहते हैं। वे सावन में प्रत्येक रविवार को डाक बम के रूप में देवघर जाने के लिए अजगबीधाम आती हैं। उनके दर्शन का शहरवासियों और कांवरियों को इंतजार रहता है।
शिवभक्ति से बड़ी पूजा कोई नहीं
जागरण से सोमवार बातचीत में बताया कि शिव भक्ति से बड़ी पूजा संसार में नहीं है। हर घर में शिवलिंग रखकर पूजा करनी चाहिए। भोलेनाथ उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि इस बार उन्होंने करीब 250 सौ ज्यादा भक्तों को घर में ही शिवलिंग रख पूजन करने का आग्रह किया है। सारे भक्त उनके कहने पर घर में ही पूजा की।
कई धार्मिक यात्राएं कर चुकी हैं कृष्णा बम
वर्ष 2013 में शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुई कृष्णा बम इसके पहले भी कई धर्म यात्राएं कर चुकी हैं। यदि वे इस बार जाती तो डाक बम के रूप में उनका 39वां वर्ष होता। 2006 में सुल्तानगंज से देवघर दंड प्रणाम करते हुए दांडी बम बनकर भी गई थी। उन्होंने बताया कि सरकार का निर्देश सर्वोपरि है। सरकार ने कोरोना जैसी महामारी के कारण इस तरह का फैसला किया है। सभी भक्तों को इस बार घर में ही पूजा करनी चाहिए ताकि कोरोना जैसी महामारी का अंत हो। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो अगले वर्ष सभी को बाबा के दर्शन होंगे।
24 घंटे में डाक बम तय करते हैं 104 किलोमीटर की दूरी
श्रावणी मेला में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु डाक बम के रूप में जाते थे। यह धर्म यात्रा मैराथन रेस से काफी बड़ी है। मैराथन की निर्धारित दूरी 42 किलोमीटर है। जबकि अजगबीनाथ धाम से बाबा धाम की दूरी 104 किलोमीटर है और इस दूरी को 24 घंटे के अंदर पूरा करने की बाध्यता के साथ डाक बम यात्रा करते हैं। हर वर्ष भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। खास तौर से महिला डाक बम की संख्या भी हर वर्ष बढ़ती है। डाक बम के इस रेस में भाग लेने वाला हर व्यक्ति खुद इसका आयोजक और खुद निर्णायक भी है।