SHOCKING! सिल्क सिटी में कैंसर से भी महंगा कोरोना का इलाज

SHOCKING! सिल्क सिटी भागलपुर में कैंसर से भी महंगा कोरोना का इलाज हो गया है। आइसीयू में मरीजों का दोहन कर रहे निजी नर्सिंग होम संचालक। 18 से 20 दिन में डिस्चार्ज हो रहे कोरोना के मरीज। साढ़े तीन से चार लाख रुपये कोरोना मरीज को उठाना पड़ रहा खर्च।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sat, 01 May 2021 07:51 AM (IST) Updated:Sat, 01 May 2021 07:51 AM (IST)
SHOCKING! सिल्क सिटी में कैंसर से भी महंगा कोरोना का इलाज
भागलपुर में कैंसर से महंगा कोरोना का इलाज।

भागलपुर [रजनीश]। कोरोना जितना छोटा नाम इलाज में उतना ही बड़ा खर्च। भागलपुर के निजी अस्पतालों में इलाज कराना आम आदमी के बस की बात नहीं, क्योंकि यहां फीस इतनी ज्यादा है कि मरीज कोरोना से तो ठीक हो जाएगा, लेकिन उनकी हालत दयनीय हो जाएगी। सिल्क सिटी में कैंसर से भी कोरोना का इलाज महंगा हो गया है। मरीज बेहाल हैं, लेकिन गिद्ध की नजर वाले निजी संचालक अवैध वसूली से बाज नहीं आ रहे हैं। दरअसल, अभी शहर के निजी अस्पताल आइसीयू में भर्ती मरीजों को बेड, ऑक्सीजन और दवाइयां मिलाकर 22 से 25 हजार खर्च होता है। 16 से 18 दिन में एक मरीज को डिस्चार्ज किया जा रहा। निजी नर्सिग होम संचालक डिस्चार्ज होने तक साढ़े तीन से चार लाख का बिल थमा रहे हैं। जबकि किसी ब्रेस्ट कैंसर के मरीज को तीसरे स्टेज में सर्जरी, किमोथेरैपी मिलाकर महज ढाई से तीन लाख तक ही खर्च आता है।

बेड से दवा तक की कलाबाजरी

निजी नर्सिग होम वाले इलाज के नाम पर मरीजों के स्वजनों से मनमानी राशि वसूलने में लगे हैं। बड़ी आपदा के समय पीड़ितों की सहायता करें न कि उनकी विवशता का अनुचित लाभ उठाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। निजी अस्पताल संचालकों का अमानवीय चेहरा भी सामने आ रहा है। प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है। इन लोगों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। शहर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण दवाओं और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी खूब हो रही है। कोरोना दवाइयों और उपकरणों के एवज में मनमानी राशि वसूली जा रही है। दो दिनों तक दवा दुकानों छापेमारी भी की गई। इसके बाद भी दवा और सर्जिकल उपकरणों की कलाबाजरी हो रही है।

मुंगेर के एक बुजुर्ग कोरोना मरीज का इलाज जीरो माइल के पास एक निजी नर्सिंग होम में कराया गया। मरीज 19 दिन तक इलाजरत रहा। तीन दिन वेंटिलेटर पर रखा गया। 23 अप्रैल को डिस्चार्ज किया गया। मरीज के स्वजन ने 3.45 लाख रुपये अस्पताल में दिए। मरीज की हालत अभी स्वस्थ्य हैं। स्वजन ने फोन पर बताया की निजी संचालक लूट मचाए है। कई  लोगों से कर्ज लेकर इलाज में खर्च किए।

भागलपुर की एक शादीशुदा महिला 2019 में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण मिले। महीनों तक भागलपुर, सिलीगुड़ी और पटना तक इलाज कराया। तीसरा स्टेज बताया। महिला दिल्ली में राजीव गांधी कैंसर संस्थान में इलाज कराई। महिला स्वस्थ्य हुई। सर्जरी, किमोथेरैपी में महज सवा दो लाख खर्च हुए।

जिला स्वास्थ्य समिति को अभी तक शिकायत नहीं

निजी अस्पताल में मरीजों को कंगाल किया जा रहा है। फीस के चक्कर में लोग कर्जदार हो रहे हैं।  इसके बाद भी आइसीयू में भर्ती मरीजों को बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों के नाम पर लिए जा रहे ज्यादा शुल्क की शिकायत जिला स्वास्थ्य समिति को नहीं की गई है। जांच के बाद ही संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

कैंसर कई तरह के होते हैं। हर तरह के कैंसर के इलाज में अलग-अलग खर्च होता है। ब्रेस्ट कैंसर के तीसरे स्टेज के इलाज में सर्जरी, किमोथेरैपी मिलाकर ढाई से तीन लाख तक ही खर्च आता है। -डॉ. राजेश गोस्वामी, कैंसर विशेषज्ञ।

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