बिहार कृषि विश्वविद्यालय में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर विज्ञानी और शिक्षक, काम काज प्रभावित

विश्वविद्यालय एवं इससे सम्बद्ध सभी कालेजों और शोध संस्थानों के विज्ञानियों ने पहले दिन बड़ी संख्या में एकत्रित होकर भूख हड़ताल की। विवि प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए आक्रोश जताया। बीएयू के दोनों शिक्षक संगठनों ने संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का ऐलान किया।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Wed, 17 Nov 2021 11:59 AM (IST) Updated:Wed, 17 Nov 2021 11:59 AM (IST)
बिहार कृषि विश्वविद्यालय में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर विज्ञानी और शिक्षक, काम काज प्रभावित
बीयू में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे विज्ञानी और शिक्षक

संवाद सहयोगी, भागलपुर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय में शिक्षकों और विज्ञानियों का रिले भूख हड़ताल अनिश्चित काल के लिए मंगलवार से आरंभ हो गया। शिक्षक अपने प्रोन्नती को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। लंबे समय से चरण बद्ध आंदोलन के कारण अब विश्वविद्यालय का काम काज प्रभावित होने लगा है। अनुसंधान परिषद की सोमवार की हुई बैठक को एक दिन में ही समाप्त कर दिया गया। जब कि यह बैठक कम से कम दो दिन चलती थी। अनुसंधान से लेकर पठन पाठन तक हड़ताल के कारण प्रभावित होने लगा है। फिलवक्त हड़ताल समाप्त होने के आसार नहीं दिख रहे हैँ। आने वाले समय में यदि ऐसे ही हड़ताल चलता रहा तो विश्वविद्यालय के लिए बहुत कठिन समय आ जाएगा।

विश्वविद्यालय एवं इससे सम्बद्ध सभी कालेजों और शोध संस्थानों के विज्ञानियों ने पहले दिन बड़ी संख्या में एकत्रित हुए और विवि प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी किया। आक्रोश जताया। बीएयू के दोनों शिक्षक संगठनों ने संयुक्त रूप से कहा कि बीते 15 वर्षों से कैरियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ शिक्षकों को नहीं दिया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप 2006, 2007, 2009, 2012 और 2014 में नियुक्त हुए शिक्षकों को अब तक कोई प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया है। जबकि हम सभी शिक्षकों के अथक प्रयास और कड़ी मेहनत से विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय स्तर पर गरिमा बढ़ी है।

राज्य में कृषि विकास को नई दिशा मिली है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रशासन एक साजिश के तहत प्रोन्नति के मामलों को उलझा कर रखे हुए हैं। जो कहीं से भी जायज नहीं है। अभी हाल ही में प्रोन्नति के मामले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कहा है कि प्रोन्नति का मामला राज्य कृषि विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन की है। इसके लिए वे खुद सक्षम है। बहरहाल प्रोन्नति नहीं मिलने के कारण कुछ ऐसे शिक्षक और वैज्ञानिक हैं जो अब सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं।

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