तेलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं होगा सहरसा, विशेष योजना से उत्पादन को मिला बल
सहरसा में तेलहन उत्पादन का रकबा जल्द बढ़ेगा इसके लिए विशेष योजना से किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। अभी यहां पर मक्का के अलावा दलहन फसल की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। अब इन किसानों को तेलहन की खेती के लिए भी तैयार किया जाएगा।
संस, सहरसा! कृषि रोड मैप के तहत कोसी क्षेत्र में भी खरीफ गरमा और रबी की मुख्य फसल धान, गेहूं, मक्का के साथ दलहन और तेलहन की खेती को बढ़ावा मिला है, परंतु अभी भी तेलहन फसल के उत्पादन में इस क्षेत्र को अपेक्षित उपलब्धि नहीं मिल सकी है। मक्का के उत्पादन में इलाका लगातार आगे बढ़ रहा है। जहां इसका उचित लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं नकदी फसल के रूप में तेलहन का अपेक्षित उत्पादन नहीं हो पा रहा है। अगर इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, तो इलाके अर्थव्यवस्था काफी सुदृढ़ हो सकती है।
कोसी क्षेत्र में बाढ़ का पानी उतरने के बाद बेकार पड़ी जमीन का उपयोग करने के लिए दियारा विकास योजना चलाई गई, जिसके तहत दलहन की खेती को बढ़ावा मिला, परंतु सब्जी और तेलहन के उत्पादन में अबतक कोई खास उपलब्धि नहीं मिली। इस इलाके में अरहर की खेती काफी कम होती है, परंतु रबी के मौके पर चना, मसूर और मटर का संतोषजनक उत्पादन हो सका है। इसके लिए विभाग ने 15 सौ हेक्टेयर का लक्ष्य रखा था, जिसमें इस वर्ष 1367 हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई, जिससे दलहन की कमी को बहुत हद तक दूर किया जा सका।
महज 2130 हेक्टेयर में हुई तेलहन की खेती
रबी के समय कृषि विभाग ने 3460 हेक्टेयर में तेलहन उत्पादन का लक्ष्य रखा था। बाढ़ के समय इसके लिए प्रत्यक्षण भी किया गया और कुछ किसानों के बीच मुफ्त बीज का भी वितरण हुआ। बावजूद इसके तीसी के 1130 हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध 428, सरसों के 1630 के लक्ष्य के विरूद्ध् 1432 और सूर्यमुखी के 700 हेक्टेयर के लक्ष्य के विरूद्ध महज 270 हेक्टेयर में आच्छादन उपलब्धि हासिल हो सका है।
तेलहन की खेती के प्रति अब किसानों की रूचि बढ़ रही है। विभाग इसके लिए किसानों को सुविधा उपलब्ध करा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही तेलहन की खेती में यह क्षेत्र आत्मनिर्भर हो जाएगा।
दिनेश प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।