राज्य के कुपोषित बच्चों को बचाने में कारगर होगा सबौर आयुष प्रभेद धान, इस तरह बीएयू में किया गया है तैयार

धान का सबौर आयुष प्रभेद राज्य के कुपोषित बच्चों को बचाने में कारगर होगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के 12वें स्थापना दिवस पर इसके बारे में कुलपति ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय ने जर्दालु आम कतरनी चावल शाही लीची आदि को पहचान दिलाई।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:55 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:55 PM (IST)
राज्य के कुपोषित बच्चों को बचाने में कारगर होगा सबौर आयुष प्रभेद धान, इस तरह बीएयू में किया गया है तैयार
धान का सबौर आयुष प्रभेद राज्य के कुपोषित बच्चों को बचाने में कारगर होगा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। कृषि विश्वविद्यालय ने धान के सबौर आयुष प्रभेद विकसित की, जिसमें धान के सामान्य प्रभेद से 20 प्रतिशत अधिक ङ्क्षजक की मात्रा पाई जाती है। यह राज्य के 48 प्रतिशत कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बचाने में कारगर साबित होगा। ये बातें कुलाधिपति फागू चौहान ने कहीं। वह गुरुवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के 12वें स्थापना दिवस पर वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

:- बिहार कृषि विश्वविद्यालय के 12वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम में बोले फागू चौहान, कहा- युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में बीएयू की भूमिका महत्वपूर्ण

कुलाधिपति ने कहा कि मात्र 11 वर्ष में बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। मार्च 2020 में आए कोरोना संकट के बाद भी कृषि विश्वविद्यालय में आनलाइन माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियां जारी रखीं। कृषि विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कुशल मार्गदर्शन के कारण यहां की एक छात्रा का चयन बंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में रिसर्च के लिए हुआ। वहीं, आरएएसआरएफ की परीक्षा में यहां के एक छात्र ने देश में पहला स्थान प्राप्त किया।

05 अगस्त 2010 को स्थापित बिहार कृषि विश्वविद्यालय का कृषि के विकास, अनुसंधान में एवं कृषकों के कौशल उन्नयन में अहम योगदान रहा है। मौसम परिवर्तन के परिपे्रक्ष्य में राज्य के कृषि को जोखिम से बचाने एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को कई प्रकार की सहायता दी जा रही है। इसमें विश्वविद्यालय की भी अहम भूमिका है।

- वर्चुअल माध्यम से कुलाधिपति ने कार्यक्रम को किया संबोधित

- कहा- मात्र 11 वर्ष में ही बीएयू ने कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए

- मार्च 2020 में कोरोना संकट के बाद भी विवि में आनलाइन पढ़ाई जारी रही

- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कुशल मार्गदर्शन के कारण छात्र कर रहे नाम रोशन

- यहां की एक छात्रा का चयन बंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में रिसर्च के लिए हुआ

कृषि विश्वविद्यालय ने जर्दालु आम, कतरनी चावल, शाही लीची आदि को पहचान दिलाई। हमें उम्मीद है कि मखाना को भी भौगोलिक पहचान मिलेगी। बाहर से आने वाले श्रमिकों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया गया। 18 युवाओं को उद्यम स्थापित करने के लिए एक करोड़ 44 लाख रुपये अनुदान दिए गए। राज्य के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्ष 2021 को फल व सब्जी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य फल व सब्जी को अपने आहार में शामिल करना है। कृषि विश्वविद्यालय में 12वें स्थापना दिवस पर पूर्वी भारत की नई पीढ़ी के लिए बागवानी विषयक सेमिनार का आयोजन हो रहा है। यह युवाओं को फल व सब्जी को आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित करेगा।  

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