जानिए... भाजपा के इस विधायक को, जिन्होंने लालू यादव के फोन आने का दावा किया
भागलपुर जिले के पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र के विधायक ललन पासवान अचानक चर्चा में आ गए हैं। वे भाजपा के विधायक हैं। पहली बार चुनाव जीते हैं। हालांकि वे यहां से दो बार भाजपा के टिकट पर लड़े थे। 2015 में राजद प्रत्याशी से वे हार गए थे।
भागलपुर, जेएनएन। पिछले दिनों बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना था। सत्ता पक्ष (एनडीए) की तरफ से भाजपा के लखीसराय के विधायक विजय कुमार सिन्हा ने इस पद के लिए नामांकन किया था। वहीं, राजद ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया। राजद उम्मीदवार को महागठबंधन के विधायकों का समर्थन प्राप्त था। बिहार विधानसभा में 245 सीट हैं। विजय कुमार सिन्हा को 126 मत तथा विपक्षी उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 114 मत मिले। इस चुनाव का परिणम हो भी, लेकिन भागलपुर के इस पीरपैंती विधायक की चर्चा इस दौरान काफी हुई। आइए... बताते हैं क्यों और कैसे चर्चा में आए पीरपैंती का यह भाजपा विधायक...
राजद सुप्रीमो का फोन आने का किया दावा
पीरपैंती के भाजपा विधायक ललन पासवान ने दावा किया है कि उन्हें राजद सुप्रीमो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का फोन आया था। लालू प्रसाद ने उन्हें बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के दौरान मतदान करने से अनुपस्थित रहने को कहा था। इसके बदले में उन्होंने कहा कि वे बहुत जल्दी ही बिहार में सरकार बनाएंगे और उन्हें मंत्री बना देंगे। इसका ऑडियो भी लगातार वायरल हो रहा है। लालू प्रसाद ने ललन पासवान को यहां तक कहा कि वे कोरोना का बहाना बनाकर विधानसभा नहीं जाएं। हालांकि ललन पासवान ने उनकी बात नहीं मानी। वे विधानसभा गए और भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। इसकी जानकारी उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं को दी। इसकी प्राथमिकी भी ललन पासवान ने दर्ज कराई है। यहां बता दें कि लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में रांची जेल में हैं। हालांकि स्वास्थ्य कारणों से उन्हें रांची के एक बंग्ले में रखा गया है।
इंजीनियर हैं ललन पासवान
पीरपैंती विधायक ललन पासवान ईशीपुर बाराहाट (पीरपैंती प्रखंड, थाना ईशीपुर बारहाट, जिला भागलपुर) के रहने वाले हैं। इंजीनियर ललन पासवान छह भाइयों में सबसे बड़े हैं। इनके पिताजी स्वर्गीय शिवनाथ पासवान पीडब्ल्यूडी में हेड क्लर्क थे। माता का नाम कुलेश्वरी देवी है। वे इंजीनियर हैं। हालांकि समाजसेवा करने के लिए उन्होंने इंजीनियर इंजीनियरिंग छोड़ दी। वर्ष 2000 से समाजसेवा के लिए राजनीतिक जीवन में आ गए। अंबेडकर शैक्षणिक सेवा आश्रम स्थापित कर समाज सेवा से जुड़े। इसके अलावा उन्होंने अन्य गतिविधियों में भी रूचि ली। उन्होंने डेमोक्रेटिक स्वार्म की स्थापना की तथा लोकतंत्र की मजबूती के लिए उक्त संस्थान से मुहिम भी चलाई। लोकतंत्र में निचले तबके को ऊपर उठाने के कार्य में लगे। इनकी पहचान क्षेत्र में एक समाजसेवी के रूप में की जाती हैं। राजनीतिक जीवन में पूर्व विधायक शोभाकांत मंडल (राजद) से व्यक्तिगत रूप से लगाव रहने के कारण हुए राजद के विचारधारा से परिचित हुए। हालांकि, उन्होंने कभी राजद की सदस्यता नहीं ली और इस पार्टी की लगभग गतिविधियों से दूर ही रहे। बाद में वे भाजपा से जुड़ गए। इस कारण वे आरएसएस, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अन्य अनुशांगिक संगठनों ने उनका करीबी से नाता हो गए। वे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, सैयद शाहनवाज हुसैन सहित अन्य कई नेताओं के करीबी माने जाते हैं।
अमन ने दिलाई थी भाजपा को से पहली जीत
2010 ने भाजपा ने यहां से अमन पासवान को टिकट दिया था। पहली बार चुनाव लड़े और जीते। उनके जीतने के साथ ही वे पीरपैंती के पहले भाजपा विधायक बने। अमन पासवान ने राजद प्रत्याशी राम विलास पासवान को हराया था। इसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान यहां से अमन पासवान का टिकट भाजपा ने काट लिया। भाजपा ने ललन पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया। ललन यहां से हार गए। उन्हें राजद के राम विलास पासवान ने हरा दिया। 2020 के चुनाव में ललन पर ही भाजपा ने भरोसा किया। हालांकि पूर्व विधायक अमन पासवान ने भी पार्टी से टिकट लेने के लिए काफी प्रयास किया था। लेकिन टिकट ललन पासवान को मिला। इस बार ललन ने राजद के राम विलास पासवान को लगभग 27 हजार मतों हरा दिया। 2020 के चुनाव की खास बात यह है कि यहां के भाजपा के पूर्व विधायक अमन पासवान ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। वे भाजपा से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज थे। यहां यह जनना जरुरी है कि अमन और ललन दोनों लगातार क्षेत्र में सक्रिय बने हुए हैं।