भागलपुर में कोरोना से मरे 44 मृतकों के स्वजन लापता, एक करोड़ 76 लाख रुपयों वापस करेगा बिहार आपदा विभाग
भागलपुर में कोरोना से मरे 44 मृतक ऐसे हैं जिनके स्वजनों का कोई अता पता नहीं है। ऐसे में बिहार आपदा विभाग चार-चार लाख रुपये का भुगतान दे तो दे किसे? लिहाजा 1 करोड़ 76 लाख रुपये की वापसी होगी। ऐसा कहा जा रहा है कि उनका पता ही सही...
जागरण संवाददाता, भागलपुर : पिछले दो साल में मरे कोरोना मरीजों का पता सही नहीं रहने के कारण उनके स्वजनों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। अभी तक 44 मृतकों के स्वजनों का पता नहीं चल पाया है। छह माह तक लगातार प्रयास करने के बाद भी मृतकों के परिजनों का पता नहीं चल पाने के कारण आपदा विभाग एक करोड़ 76 लाख रुपये वापस करने जा रहा है।
हालांकि, पहली सूची 48 थी, लेकिन चार मृतकों के स्वजनों का पता चल गया है। इनके कागजातों की जांच चल रही है। इन्हें चार-चार लाख रुपये देने की तैयारी चल रही है। सिविल सर्जन कार्यालय से जो सूची आपदा प्रबंधन विभाग को उपलब्ध कराई गई है, उसमें 44 व्यक्ति के स्वजनों का कोई अता-पता नहीं चल रहा है।
जिले में 25834 लोग कोरोना पाजिटिव हुए हैं। इनमें से 25522 लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। 312 लोगों की मौत हुई है। हालांकि सिविल सर्जन की ओर से आपदा प्रबंधन विभाग को 306 मृतकों की सूची उपलब्ध कराई है।
- 04 व्यक्ति के स्वजनों को मिलेंगे चार-चार लाख रुपये - 312 लोगों की कोरोना संक्रमण से हुई है मौत, 306 लोगों के लिए आई राशि - 284 मृतकों के परिवारवालों को मुआवजा राशि का हो चुका है भुगतानमुख्यमंत्री राहत कोष से मदद
मुख्यमंत्री राहत कोष से 232 मृतकों के स्वजनों को भुगतान के लिए नौ करोड़ 28 लाख रुपये उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि आपदा मद से 50 मृतकों के स्वजनों को भुगतान किया गया है। आपदा विभाग ने 73 मृतकों के स्वजनों के मुआवजा के लिए दो करोड़ 92 लाख रुपये भेज दी है है। सिविल सर्जन द्वारा आपदा प्रबंधन विभाग को 306 मृतकों की जो सूची उपलब्ध कराई गई है, उसमें से 234 मृतकों के स्वजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से और 72 व्यक्ति के स्वजनों को आपदा मद से मुआवजे की राशि मिलनी है।
कई लोगों ने दायर कर रखा है वाद
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां कई मृतकों के स्वजनों ने वाद दायर कर रखा है। सुनवाई चल रही है। विधानसभा चुनाव के कारण जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह के आब्जर्वर बनाए जाने के कारण सुनवाई में देरी हो रही है।