कानपुर के ईंट भट्ठे में मजदूरी करने वाली जमुई की रेखा देवी बनीं मुखिया, बताया अपना सपना

बिहार पंचायत चुनाव 2021 के दूसरे चरण के नतीजों में जीते हुए प्रत्याशियों का बैकग्राउंड दिलचस्प है। जमुई की सहोडा पंचायत से विजयी हुई रेखा देवी कानपुर के ईट भट्ठों में मजदूरी करती थीं। मानसून के चलते वापस आईं तो मुखिया पद के लिए चुनावी मैंदान में उतरीं और...!

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 09:38 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 09:38 PM (IST)
कानपुर के ईंट भट्ठे में मजदूरी करने वाली जमुई की रेखा देवी बनीं मुखिया, बताया अपना सपना
कानपुर जाकर मजदूरी करती थीं रेखा देवी।

संवाद सूत्र, अलीगंज (जमुई)। बिहार पंचायत चुनाव 2021: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पंचायतीराज का जो सपना संजोया था, वो आज पूरा हो रहा है। समाज के सबसे कमजोर व अंतिम पायदान पर रहने वाले लोग पंचायत का नेतृत्व प्रधान बनकर करने जा रहे हैं। सपना पंचायत के विकास का है। जमुई जिले के इस्लामनगर अलीगंज प्रखंड अंतर्गत सहोडा पंचायत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पंचायत चुनाव 2021 में डांढ महादलित टोला निवासी सुरेन्द्र मांझी की पत्नी रेखा देवी सहोडा पंचायत से मुखिया निर्वाचित हुई हैं। पूरे डांढ गांव के ग्रामीण काफी खुश हैं। नव निर्वाचित मुखिया रेखा देवी अपने पति सुरेन्द्र मांझी के साथ 25 वर्षों से कानपुर जाकर, वहां के ईंट भट्ठों पर ईंट पाथने का काम कर थीं।

 रेखा देवी की जीत के बाद गांव के लोग काफी खुश हैं। रेखा से ग्रामीणों की आशा और उम्मीदें जुड़ गईं हैं। यही वजह है कि उन्हें जीत का सेहरा पहनाया गया। जीत के बाद रेखा बताती है कि इस बार भी जेष्ठ महीना में ईंट भट्ठे पर काम कर कानपुर से वापस लौटी। उसके गांव व समाज के लोगों ने उसके पति सुरेन्द्र मांझी से कह सहोडा पंचायत सुरक्षित सीट से मुखिया पद के लिए उन्हें खड़ा करवाया और पूरे गांव के लोगों के सहयोग से दिहाड़ी करने वाली रेखा देवी पांच उम्मीदवारों में से चुनी गईं। उन्होंने लगभग चार सौ मतों से जीत हासिल की है। आज भी वे एक झोपडीनुमा मकान में रहती है। उन्हें कई वर्षो पहले इंदिरा आवास मिला था। उसी एक कमरे में रहती है।

उन्होंने कहा कि अब वह मुखिया बनी है। हर सरकारी योजनाओं का लाभ पंचायत के लोगों तक पहुंचाएगी। नवनिर्वाचित मुखिया कहती हैं कि आजादी के 70 दशक बीत जाने के बाद भी महादलित टोला आने के लिए पक्की सडक नसीब नहीं है। कच्ची व कीचड़ मय रास्ते से लोगों का आवागमन होता है। अब वे बताती है कि हम बापू व बाबा साहब के सपनों को साकार करेंगी। गांव की गलियों एवं नालियों को दुरूस्त करेंगी। हर गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का काम करेंगी।

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