पूर्णिया के सरकारी अस्पतालों में टीबी रोगी पहचान दर में कमी, छह माह में में महज 660 रोगियों की पहचान कर सके कर्मी
पिछले छह महीने से टीबी मरीजों की पहचान नहीं की जा रही है। पूर्णिया के सरकारी अस्पतालों में महज छह सौ नए रोगियों की इस दौरान पहचान की गई है। इससे टीबी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।
पूर्णिया [दीपक शरण]। कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न बीमारियों से ग्रसित लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नियमित चेकअप, नयी रोगी की पहचान और अन्य तरह की समस्या सामने आ रही है। टीबी भी एक ऐसा रोग जिसका लंबे समय तक उपचार चलता है। दवा भी लंबे समय तक चलती है। महामारी के दौरान पिछले वर्ष भी पहचान दर में कमी आई थी। पिछले छह में 2024 रोगी की पहचान हुई। इसमें सरकारी अस्पतालों में 660 रोगी और निजी अस्पतालों में 1364 टीबी रोगी की पहचान हुई।
निश्चित तौर पर सरकारी अस्पताल में अचानक रोगी की पहचान दर में काफी कमी आई है। सरकारी अस्पताल में सामान्य तौर पर रोगी की पहचान अधिक होती है। टीबी एक घातक संक्रामक रोग है। इसके पहचान दर में कमी से गंभीर परिणाम हो सकते है। रोगी पहचान में लापरवाही घातक हो सकती है। पहचान दर में कमी रोग के बढऩे का खतरा रहता है। 2019 में 4 हजार 72 टीबी रोगी की पहचान हुई थी। सरकारी अस्पतालों में 2786 और निजी अस्पतालों में 1286 रोगी की पहचान हुई। 2020 में कुल 4 हजार 591 टीबी रोगी की पहचान हुई। इसमें 1960 सरकारी अस्पताल में और निजी अस्पतालों में 1286 इतने टीबी रोगी है।
दवा प्रारंभ होने के रोग फैलने का खतरा नहीं
टीबी मरीजों के बारे में चिकित्सक बताते हैं कि अगर एक बार रोग नोटीफाइड हो जाए और दवा की खुराक प्रारंभ हो गयी तो वह अन्य व्यक्ति में संक्रमण नहीं फैलाता है। पहचान नहीं हुई है तो ना जाने यह बीमारी कितनों को फैला देगा। विभाग का मानना है कि बड़ी संख्या में टीबी रोगी मिङ्क्षसग होते हैं। ऐसे पहचान में सुस्ती घातक हो सकती है। 2025 तक टीबी के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य जरूर रखा गया है लेकिन यह लापरवाही लक्ष्य पाने में बड़ी बाधक बन सकती है। गौरतलब है राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) को बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कर दिया गया है।
वर्ष - टीबी रोगी
2018 - 3147
2019 - 4072
2020 - 5491
2021 अबतक - 2024
कोरोना काल में भी अन्य रोगी की पहचान में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं करने का विभाग को निर्देश दिया गया है। रोगी की पहचान दर और उपचार के लिए अतिरिक्त प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. एसके वर्मा, सिविल सर्जन