CDPO रहते रत्ना चटर्जी का दामन रिश्वतखोरी में हुआ था दागदार, किशनगंज से भी जुड़ा मामला

वर्ष 2011 में रत्‍ना चटर्जी किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड की सीडीपीओ थी। सेविका पद पर चयन के लिए आवेदक से 30 हजार रुपये रिश्वत लेने के दौरान निगरानी टीम रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। सरकार द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 10:45 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 10:45 PM (IST)
CDPO रहते रत्ना चटर्जी का दामन रिश्वतखोरी में हुआ था दागदार, किशनगंज से भी जुड़ा मामला
आय से अधिक संपत्ति मामले में पुलिस ने की कार्रवाई।

किशनगंज [शैलेश]। आय से अधिक संपत्ति मामले में खनन विभाग के ओएसडी मृत्युंजय कुमार के ठिकाने पर निगरानी टीम की छापेमारी से सूबे में चर्चा में आई पूर्व सीडीपीओ रत्ना चटर्जी का दामन रिश्वतखोरी में पूर्व से ही दागदार रहा है। वर्ष 2011 में वह किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में सीडीपीओ पद पर पदस्थापित थी। जहां उसे सेविका पद पर चयन के लिए आवेदक से 30 हजार रुपये रिश्वत लेने के दौरान पटना से आई निगरानी टीम रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में आरोप प्रमाणित होने पर उसे सरकार द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

शुक्रवार को बिहार सरकार के खनन मंत्री जनक राम के ओएसडी सहित उसके महिला मित्र रत्ना चटर्जी के पटना, कटिहार और अररिया के ठिकाने पर निगरानी की छापेमारी हुई। इस दौरान रत्ना चटर्जी का नाम काफी तेजी से फैला जो ओएसडी के करीबी मित्र बताई जा रहीं हैं। कटिहार स्थित रत्ना चटर्जी के घर से लाखों रुपये नकदी, जेवरात, सोने की बिस्किट व कई जगह रुपये निवेश और संपत्ति के कागजात मिले हैं। उस घर पर सचिव का भी आना जाना होता था। ऐसे में रत्ना चटर्जी के पूर्व मामले एक बार फिर चर्चा में आ गया कि आखिर एक भ्रष्ट सरकारी पदाधिकारी के तौर पर उसकी सेवा वर्षों पूर्व समाप्त कर दी गई लेकिन इतनी अधिक संपत्ति उसके ठिकाने से कैसे मिला। मामले में निगरानी की टीम गहन जांच पड़ताल में जुटी हुई है।

सेविका पद पर चयन हेतु 80 हजार की मांगी थी रिश्वत

वर्ष 2011 के सितंबर माह में ठाकुरगंज में सीडीपीओ पद पर रहने के दौरान सेविका पद पर चयन के लिए आवेदक से 80 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। सीडीपीओ के भ्रष्ट करतूत से परेशान होकर दुधौटी पंचायत निवासी फैयाज आलम ने निगरानी विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसकी पत्नी नाहिदा अख्तर के चयन हेतु रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। उस दौरान केंद्र संख्या 236 में सेविका पद के लिए नाहिदा अख्तर ने आवेदन दिया था। मेधा सूची प्रकाशन के बाद नियुक्ति के संबंध में जब सीडीपीओ रत्ना चटर्जी से मिली तो उसने रिश्वत के तौर पर 80 हजार रुपये की मांग कर दी। शिकायत के सत्यापन बाद पटना से आई 14 सदस्यीय निगरानी टीम ने आवेदक से 30 हजार रुपये रिश्वत लेते सीडीपीओ रत्ना चटर्जी को गिरफ्तार किया था। मामले में आरोप साबित होने पर सरकार ने उसे को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

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