माह-ए-रमजान के पहले जुमा को अदा की गई नमाज
शुक्रवार को प्रखंड के सभी मस्जिदों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पवित्र माह-ए-रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की गई। शुक्रवार को बिहपुर खानका के गद्दीनशीं अली कोनैन खां फरीदी व नायब गद्दीनशीं मौलाना अली शब्बर खां फरीदी ने अल्लाह ताला से इस कोरोना महामारी से सभी लोगों को महफूज रखने की दुआ मांगी।
भागलपुर। शुक्रवार को प्रखंड के सभी मस्जिदों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पवित्र माह-ए-रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की गई। शुक्रवार को बिहपुर खानका के गद्दीनशीं अली कोनैन खां फरीदी व नायब गद्दीनशीं मौलाना अली शब्बर खां फरीदी ने अल्लाह ताला से इस कोरोना महामारी से सभी लोगों को महफूज रखने की दुआ मांगी। फरीदी ने कहा कि रोजा रखने की बहुत सारी फजीलतें हैं। बगैर किसी सही मजबूरी के जो शख्स माह-ए-रमजान मुबारक का एक दिन रोज छोड़ देता है, हदीश के मुताबिक उस शख्स को नौ लाख बरस जहन्नुम की आग में जलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हुजूर सलल्लाहो अलैह वसल्लम ने इरशाद फरमाया है कि जो रमजान का एक दिन का रोजा बगैर रुखसत व बगैर मर्ज के नहीं रखता है, तो जमाने भर का रोजा उसकी कजा नहीं हो सकता, अगर वह बाद में रख भी ले। गद्दीनशी व नायब गद्दीनशीं ने अपने तकरीर में कहा कि बुखारी शरीफ में आया है कि वे फजीलत जो माह-ए-रमजान में रोजा रखने की थी, अब वह किसी तरह पा नहीं सकता। मस्जिदों में नहीं घरों में हुई जुमे नमाज फोटो :
जागरण संवाददाता भागलपुर : रमजान माह के पहले जुमे की नमाज अदा की गई। कोरोना संक्रमण के कारण रमजान जैसे पवित्र महीने के जुमा पर मस्जिदो में नमाजियों की भीड़ नही जुटी। कोविड की शर्तो के मुताबिक गिने-चुने लोगों ने मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा की। ज्यादातर लोगों ने घरों पर ही नमाज का फर्ज पूरा किया। इबादत और तिलावत का जोर रहा। शुक्रवार को रमजान माह का पहला जुमा था। आमतौर पर रमजान के जुमा में मस्जिदों में नमाजियों की संख्या कई गुना ज्यादा होती है, लेकिन रमजान के जुमा में मस्जिदें सूनी रहीं। जिन मस्जिदों में जुमा की सामूहिक नमाज अदा की जाती है वहा मात्र इमाम, मोअज्जिन और मुतावल्ली आदि गिने चुने लोगों ने जुमा की नमाज में शिरकत की। शहर की तातारपुर मस्जिद, शाह मार्केट की मस्जिद, शाहजंगी मस्जिद, मौलानाचक मस्जिद, हुसैनाबाद मस्जिद, कबीरपुर मस्जिद इत्यादि शामिल थी। गाव और कस्बों की मस्जिदों में भी यही रहा। रोजेदारों और अन्य मुस्लिमों ने ज्यादातर घरों पर ही नमाज अदा की। नमाज के बाद कोरोना से निजात और मुल्क की सलामती के लिए खासतौर से दुआएं हुई। कई इमाम और नमाजियों की आखों में दुआ के समय आसू आ गए।